मोक्षदायिनी गंगा में स्नान करने से सभी दुखों से मिलती है मुक्ति

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नई दिल्लीः सनातन धर्म में गंगा सप्तमी का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व मंगलवार को मनाया गया है। आज के ही दिन मां गंगा की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए आज के दिन को गंगा सप्तमी के नाम से जाना जाता है और जिस दिन गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। उस दिन को गंगा दशहरा भी कहते हैं। इस पावन दिन पर गंगा नदी में स्नान किया जाता है और विधि-विधान से पूजा की जाती है। ऐसा करने से रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति के साथ सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही वैशाख मास चल रहा है। जिसके देवता भगवान विष्णु हैं। इसलिए मां गंगा के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी इस दिन पूजा की जाती है।

गंगा सप्तमी के महत्व के बारे में कहा जाता है कि भागीरथ नाम का एक प्रतापी राजा था। उन्होंने अपने पूर्वजों को मुक्ति देने के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए ठान ली थी। इसके लिए उन्होंने गंगाजी की कठोर तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर आने के लिए तैयार हो गईं। उन्होंने भागीरथ से कहा कि अगर मेरी जलधार सीधे स्वर्ग से पृथ्वी पर गिरेगी तो पृथ्वी उसका वेग सहन नहीं कर पाएगी और चारों तरफ जलमय हो जाएगा। यह सुनकर भागीरथ सोच में पड़ गए और इसके लिए उन्होंने भगवान शिव की तपस्या शुरू कर दी। भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने दर्शन दिए और वर मांगने को कहा। भागीरथ ने अपनी समस्या भगवान शिव को बता दी। गंगा जैसे ही स्वर्ग से पृथ्वी पर गिरीं तो भगवान शिव ने पहले अपनी जटाओं में उनको धारण कर लिया और फिर जटा से एक धारा पोखर में छोड़ दी। वहां से गंगा की सात धारा प्रवाहित हुईं। इस प्रकार भागीरथ पृथ्वी पर गंगा को ले आए और अपने पूर्वजों को मुक्ति दिलाई। युगों-युगों तक बहने वाली गंगा लोगों के लिए जीवनदान बन गई। गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और मनुष्य को सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। मां गंगा को मोक्षदायिनी भी कहा जाता है इसलिए इस दिन पूजा-अर्चना करने से मनुष्य को मोक्ष की भी प्राप्ति होती है और कुंडली में मौजूद अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिल जाती है।

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मान्यता है कि जीवनदायिनी गंगा के दर्शन मात्र से सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन को मां गंगा के पुनर्जन्म का दिन भी माना जाता है इसलिए इसे कई स्थानों पर गंगा जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन दान-पुण्य के कार्यों के करने से मनुष्य को उसका फल कई जन्मों तक मिलता है। कोरोना जैसी महामारी के चलते गंगा स्नान संभव नहीं है। इसलिए नहाने के पानी में थोड़ा गंगा जल मिलाएं फिर उससे स्नान करें तथा आज के दिन ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः मंत्र का जप कर सकते हैं।