रायपुर: आदिवासी आरक्षण को लेकर प्रदेश में संयुक्त विपक्ष ने अनुसूचित जाति और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण को बढ़ाने सदन में पेश होने वाले आरक्षण विधेयक को लेकर विपक्ष ने शुक्रवार को संशोधन प्रस्ताव पेश किया है। इसमें एससी का आरक्षण 13 से बढ़ाकर 16 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस का चार से बढ़ाकर दस प्रतिशत करने का संशोधन दिया है। छत्तीसगढ़ विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र में दूसरे दिन भाजपा के वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम पर विशेषाधिकार भंग करने का आरोप लगाकर कार्यवाही की मांग की है। इसके साथ ही कहा है कि, विधानसभा की अधिसूचना से पहले मोहन मरकाम को कैसे पता चला कि 2 दिसम्बर को बिल पेश होगा। विधानसभा अध्यक्ष महंत ने कहा कि वे इस पर अपना फैसला बाद में देंगे। इधर, विपक्ष ने सदन से वाकआउट किया है।
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विशेष सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए आरक्षण का नया अनुपात तय करने वाला विधेयक पेश करने वाले हैं। इसी के साथ विधानसभा एक संकल्प भी पारित करने जा रहा है। इसमें केंद्र सरकार से आग्रह किया जाएगा कि वे आरक्षण कानून को संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल कर लें। तय योजना के मुताबिक कार्यवाही के दूसरे हिस्से में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक 2022 को पेश करेंगे। इसके साथ ही शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक को भी पेश किया जाना है।
सत्ता पक्ष और विपक्ष की चर्चा के बाद इन विधेयकों को पारित कराने की तैयारी है। राज्य कैबिनेट ने इन विधेयकों को प्रारूप को 24 नवम्बर को हुई बैठक में मंजूरी दी थी। इन दोनों विधेयकों में आदिवासी वर्ग को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण का अनुपात तय हुआ है। सामान्य वर्ग के गरीबों को 4 प्रतिशत आरक्षण देने का भी प्रस्ताव है। इसको मिलाकर छत्तीसगढ़ में 76 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा।
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