हिंदू धर्म में ऐसे कई पुराण, शास्त्र और नीतियां हैं जिनमें सफल जीवन का रहस्य छिपा हुआ है। चाणक्य नीति, विदुर नीति की तरह ही शुक्र नीति भी काफी प्रसिद्ध है। ऋषि भृगु के पुत्र और शास्त्रों के ज्ञाता शुक्राचार्य ने अपनी शुक्र नीति में जीवन को सफल बनाने के कई तरीके बताए हैं। उनकी बताई गई बातें और नीतियों के बारे में शुक्रनीति में पढ़ने को मिल जाता हैं।
दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य ने अपनी शुक्रनीति में जीवन के बारे में बताते हुए कहा है कि मनुष्य आज जो भी कार्य कर रहा है उसे भविष्य को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए। साथ ही आज का काम कल पर नहीं टालना चाहिए। इसका वास्तविक अर्थ यह हुआ कि मनुष्य को भविष्य की योजनाएं अवश्य बनाना चाहिए। उसे यह ध्यान रखना चाहिए कि आज वह जो भी कार्य कर रहा है, उसका भविष्य में क्या परिणाम होगा। साथ ही जो काम आज करना है उसे आज ही करें। आलस्य करते हुए उसे भविष्य पर कदापि न टालें। आचार्य शुक्र ने बताया कि मनुष्य को तुष्ट-पुष्ट करने वाले अन्न का कभी अपमान नहीं करना चाहिए। अन्न प्रत्येक मनुष्य के जीवन का आधार होता है, इसलिए जो भी भोजन आपको प्रतिदिन के आहार में प्राप्त हो उसे परमात्मा का प्रसाद समझते हुए ग्रहण करें।
यह भी पढ़ेंःमोटापे से निजात दिलाने में बेहद मददगार है गुड़-नीबू का ड्रिंक
अन्न का अपमान करने वाला मनुष्य नर्क में घोर पीड़ा भोगता है। धर्म के बारे में बात करते हुए शुक्रनीति कहती है कि हर व्यक्ति को अपने धर्म का सम्मान और उसकी बातों का पालन करना चाहिए। जो मनुष्य अपने धर्म में बताए अनुसार जीवनयापन करता है उसे कभी पराजय का सामना नहीं करना पड़ता। धर्म ही मनुष्य को सम्मान दिलाता है। मित्रता कैसे लोगों से की जाए इस बारे में शुक्रनीति कहती है कि मनुष्य को अपने मित्र बनाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। बिना सोचे-समझे किसी से भी मित्रता कर लेना आपके लिए कई बार हानिकारक भी हो सकता है, क्योंकि मित्र के गुण-अवगुण, उसकी अच्छी-बुरी आदतें हम पर समान रूप से असर डालती है। इसलिए बुरे विचारों वाले या बुरी आदतों वाले लोगों से मित्रता नहीं करना चाहिए।