ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की होगी कार्बन डेटिंग जांच, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिये आदेश

0
15
gyanvapi

gyanvapi

प्रयागराजः इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) जांच व साइंटिफिक सर्वे की मांग में दाखिल याचिका स्वीकार कर ली है। एएसआई (ASI) को बिना क्षति पहुंचाए शिवलिंग की कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) जांच करने का आदेश दिया गया है। वाराणसी (Varanasi) की अधीनस्थ कोर्ट ने उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) की यथास्थिति कायम रखने के आदेश के चलते कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) जांच कराने से इंकार कर दिया था। जिसे उच्च न्यायालय (High Court) में चुनौती दी गई थी। न्यायालय (Court) ने वाराणसी की अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र ने लक्ष्मी देवी व अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एम सी चतुर्वेदी ने पक्ष रखा। याचिका पर अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णु शंकर जैन, ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi mosque)की तरफ से एसएफए नकवी ने पक्ष रखा। न्यायालय (Court) ने भारत सरकार के अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह से पूछा था कि क्या शिवलिंग को नुक़सान पहुंचाए बगैर कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) से जांच की जा सकती है,क्योंकि इस जांच से शिवलिंग की आयु का पता चलेगा। एएसआई (ASI) ने कहा बिना क्षति शिवलिंग की कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) की जांच की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी (Gyanvapi) परिसर में 16 मई 22 को कमीशन की कार्यवाही के दौरान मिले कथित शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे एएसआई (ASI) से कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल वाद जिला अदालत वाराणसी ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है।

ये भी पढ़ें..गुजरात को PM पीएम ने दी 4400 करोड़ रुपये की सौगात,…

मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कर रही है। ऐसे में सिविल कोर्ट (Civil Court) को आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है। जिला जज वाराणसी के 14 अक्टूबर 2022 को कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) की मांग वाली अर्जी खारिज करने के आदेश को हाईकोर्ट (High Court) में चुनौती दी गई है। याचिका कर्ता लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर से यह सिविल रिवीजन दाखिल की गई है। जिसे कोर्ट (Court) ने दोनों पक्षों की बहस के बाद स्वीकार कर लिया है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)