काबुलः अफगानिस्तान में बुधवार की सुबह लड़कियां खासी प्रफुल्लित थीं। आखिर लंबे समय बाद स्कूल खुलने की खुशी में बड़े उत्साह के साथ स्कूल पहुंचीं भी, किन्तु कुछ ही देर बाद उनके स्कूल बंद करा दिए गए। इसके बाद दुखी लड़कियां निराश और रोती हुई वापस घर लौट गयीं। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही वहां लड़कियों के स्कूल लगातार बंद चल रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय दबाव और मान्यता की आस में तालिबान ने बुधवार से लड़कियों के स्कूल खोलने का आदेश जारी किया था। इसे लेकर छात्राएं खासी उत्साहित थीं।
बुधवार को स्कूल खोलने के कुछ ही घंटों बाद तालिबान ने इन्हें पुनः बंद करने का आदेश दे दिया। पिछले साल अगस्त में तालिबान द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद पहली बार विद्यालय पहुंचीं छात्राएं आंसुओं के साथ घर लौट गयीं। इस कारण वहां भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। तालिबान के प्रवक्ता इनामुल्लाह समांगानी ने इसे सच करार दिया। उन्होंने तत्काल स्कूलों को बंद करने का कारण नहीं बताया. इस बीच शिक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता अजीज अहमद रायन ने कहा कि उन्हें इस पर टिप्पणी करने की अनुमति नहीं है।
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संयुक्त राष्ट्र संघ की दूत डेब्राह लियोन्स ने स्कूलों को बंद करने के फैसले को परेशान करने वाला करार दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि इस फैसले के पीछे क्या कारण हो सकता है। फिलहाल उत्साहित बेटियां तालिबानी फैसले से निराश हैं। वहां के शिक्षक-शिक्षकाएं भी तालिबान के दबाव में दहशत में हैं और कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।
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