
प्रयागराजः उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग प्रयागराज की ओर से आयोजित समीक्षा अधिकारी-सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा के सामान्य हिन्दी विषय की परीक्षा के प्रश्नपत्र में 60 प्रश्नों में से कम से कम 6 प्रश्नों के सभी उत्तर-विकल्प गलत होने का तथ्य प्रकाश में आया है। भाषाविद् आचार्य पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने एक बार फिर इस तरह की गलतियां करने वाले आयोग पर सवाल खड़े किए हैं।
आचार्य पाण्डेय ने ’सीरीज बी’ प्रश्नपत्र की प्रश्न-संख्या 14 में ’चोर’ के पर्यायवाची के रूप मे दिये गये सभी उत्तर विकल्प-खनक, उदक, धूसर तथा थलचर को अशुद्ध बताया है। उन्होंने तीनों के अर्थ क्रमशः खनन करने वाला, पानी, भूरे रंग का तथा पृथ्वी पर रहने वाला जीव बताया है। प्रश्न संख्या 17 में वर्तनी की दृष्टि से एक शुद्ध शब्द पूछा गया है, जबकि इसके उत्तर विकल्प में (सी) परीक्षा और (डी) परिक्षा दोनों ही शुद्ध वर्तनी के शब्द हैं। परीक्षा का अर्थ ’जाँच’ और परिक्षा का अर्थ ’कीचड़’ है। प्रश्न संख्या 20 में शुद्ध वाक्य पूछा गया है, जबकि सभी उत्तर विकल्प अशुद्ध हैं। (ए), (बी) और (डी) तो प्रथम दृष्टि में ही अशुद्ध हैं, जबकि (सी) विकल्प का वाक्य ’बिना टिकट यात्रा दण्डनीय है।’ यह भी अशुद्ध है। ’बिना टिकट के, लिये यात्रा करना दण्डनीय है।’ यह वाक्य होता तो शुद्ध माना जाता क्योंकि विकल्प में वाक्य-विन्यास का दोष है। प्रश्न संख्या 22 में एक विशेष्य शब्द पूछा गया है, जबकि इसके उत्तर विकल्प में (बी) वादी और (डी) मानस-दोनों ही विशेष्य हैंय वादी का अर्थ ’बोलने वाला’ और मानस का ’मन’ है।
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श्री पाण्डेय ने बताया कि इसी प्रकार प्रश्न 24 में विलोम का एक सही युग्म पूछा गया है, जबकि दिये गये उत्तर विकल्प में से कोई शुद्ध नहीं है। यदि आयोग इसके (डी) विकल्प ’आदृत-तिरस्कृत’ को मानता हो तो वह गलत है क्योंकि सही विकल्प ’आदृत-अनादृत’ होगा, जो दिया ही नहीं गया है। ’पुरस्कृत’ के साथ ’तिरस्कृत’ होता है। ’अवर्षण-अनावर्षण’ तो पर्याय ही हैं, जबकि ’आपत्ति-विपत्ति’ और ’गणतन्त्र-जनतन्त्र’ विलोम हैं ही नहीं। प्रश्न 46 में तद्भव शब्द पूछा गया है। जबकि चारों विकल्प संस्कृत भाषा अर्थात् तत्सम हैं। आचार्य पाण्डेय ने इसी तरह के सवाल खड़े करते हुए आश्चर्य जताया है कि आयोग की परीक्षाओं में अभ्यर्थियो के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है, पर जिम्मेदार लोग अनजान बने हुए हैं। उन्होंने बताया कि प्रश्न 30 में ’कोरोना पीड़ित है’ की जगह ’कोरोना से पीड़ित है’ होगा। पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने आयोग द्वारा लम्बे समय से प्रतियोगी विद्यार्थियों के भविष्य के साथ किये जा रहे खिलवाड़ के विरुद्ध जांच की मांग उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की है।
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