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INS Vikrant: नौसेना को मिला महाबली INS विक्रांत, जानें कितना है शक्तिशाली

नई दिल्लीः देश के लिए आज ऐतिहासिक दिन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर 'INS विक्रांत' (INS Vikrant) भारतीय नौसेना को सौंपा। INS विक्रांत की खास बात ये है कि यह एक स्वदेशी युद्धपोत है। खास बात है कि इस उपलब्धि के साथ ही भारत अब उन देशों के एलीट समूह में शामिल हो गया, जो एयरक्राफ्ट करियर बनाने में सक्षम हैं। फिलहाल, इन देशों की सूची में अमेरिका, रूस, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और चीन का नाम शामिल है। इतना ही नहीं यह दुनिया का 7वां सबसे बड़ा करियर होगा।

इस मौके पर पीएम ने कहा, आज 2 सितंबर, 2022 की ऐतिहासिक तारीख को, इतिहास बदलने वाला एक और काम हुआ है। आज भारत ने, गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया है। आज से भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला है। अब तक भारतीय नौसेना के ध्वज पर गुलामी की पहचान बनी हुई थी। लेकिन अब आज से छत्रपति शिवाजी से प्रेरित, नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहराएगा।

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दरअसल एयरक्राफ्ट करियर मतलब समुद्र में तैरता एयरफोर्स स्टेशन। जहां से फाइटर जेट्स, मिसाइलें, ड्रोन्स उड़कर दुश्मन के छक्के छुड़ा सकते हैं। ये जल, जमीन और आसमान में शोले बरसा सकते हैं। आपको जानकर ये हैरानी होगी कि IAC विक्रांत दुनिया के दस सबसे ताकतवर विमानवाहक युद्धपोतों में शामिल है। बता दें कि INS विक्रांत को 2009 में बनाना शुरू किया गया था। अब 13 साल बाद ये नौसेना को मिला है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने नौसेना के नए Ensign (निशान) का भी अनावरण किया। नौसेना का नया Ensign औपनिवेशिक अतीत से दूर और भारतीय मैरिटाइम हैरिटेज से लैस है।

INS विक्रांत की खासियत

INS विक्रांत एयरक्राफ्ट करियर समुद्र के ऊपर तैरता एक एयरफोर्स स्टेशन है जहां से फाइटर जेट्स, मिसाइलें, ड्रोन के जरिए दुश्मनों के नापाक मंसूबों को नेस्तनाबूत किया जा सकता है। विक्रांत से 32 बराक-8 मिसाइलें दागी जा सकेंगी। 44,570 टन से अधिक वजनी, यह युद्धपोत 30 लड़ाकू जेट विमानों को समायोजित करने में सक्षम है और दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और निर्देशित बमों और रॉकेटों से परे जहाज-रोधी मिसाइलों से लैस है। यह विभिन्न विमानों को संभालने के लिए आधुनिक लॉन्च और रिकवरी सिस्टम से भी लैस है जैसे मिग -29 के लिए लूना लैंडिंग सिस्टम और सी हैरियर के लिए डीएपीएस लैंडिंग सिस्टम। इसकी अधिकतम गति 2469 किमी प्रतिघंटा होती है।

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एक छोटे शहर को बिजली देने की झमता

विमानवाहक पोत के 2,300 डिब्बों में 1,700 नाविकों के लिए जगह है, साथ ही महिला अधिकारियों के लिए विशेष केबिन भी हैं, और यह एक छोटे से शहर को बिजली देने के लिए पर्याप्त बिजली पैदा करने में सक्षम है। सेना के मुताबिक, विक्रांत की किचन में एक दिन में 4800 लोगों का खाना तैयार किया जा सकता है और एक दिन में 10 हजार रोटियां सेंकी जा सकती हैं।

IAC विक्रांत में 16 बेड का अस्पताल

इसके अलावा आईएसी विक्रांत के अंदर 16 बेड का असप्ताल है। दो ऑपरेशन थियेटर हैं। प्राइमरी मेडिकल कॉम्प्लेक्स हैं। इसमें 40 कंपार्टमेंट्स हैं, जो पूरे जहाज पर फैले हुए हैं। सीटी स्कैन, लेबोरेटरी, अल्ट्रासोनोग्राफी, एक्स-रे की सुविधा भी है. इसके अलावा दो डेंटल चेयर और ट्रीटमेंट फैसिलिटी भी है। हमारी टीम में 5 मेडिकल ऑफिसर और 16 पैरामेडिक्स शामिल हैं।

76 फीसदी स्वदेशी चीजों का इस्तेमाल

नौसेना ने जानकारी दी है कि इसके निर्माण में 76 फीसदी स्वदेशी चीजों का इस्तेमाल हुआ है। 20 हजार करोड़ रुपये में INS विक्रांत को तैयार करने में 2 हजार सीएसएल कर्मी और अप्रत्यक्ष रूप से 13 हजार अन्य लोग भी शामिल रहे। INS विक्रांत के फ्लाइट ट्रायल्स नवंबर तक शुरू हो जाएंगे और यह कैरियर साल 2023 के मध्य तक संचालन के लिए पूरी तरह तैयार होगा।

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