plantation
लखनऊः सरकार इस बारिश में अपने पिछले साल में लगाए गए पौधों की संख्या का आंकड़ा तोडने की तैयारी में हैं। शहर के करीब स्थित पौधशालाओं को भी इसके लिए टारगेट दिए गए हैं। इन पौधशालाओं में पिछले कई महीनों से पौधे (plantation) तैयार किए जा रहे हैं। यही पौधे अब गांवों या फिर बंजर भूमि पर लगाए जाएंगे।
शहर को हरा-भरा बनाए रखने के लिए जरूरी है कि पौधे लगाए जाएं, इसलिए बारिश का इंतजार किया जा रहा है। इस साल करीब 34 करोड़ पौधे लगाए जाएंगे। पौधे लगाने का लक्ष्य सरकारी है, जबकि पौधों को जुटाने की जिम्मेदारी वन विभाग को दी गई है। इसके अलावा यूपी के उद्यान विभाग, नगर निगम एवं निजी नर्सरियों में भी पौधे तैयार किए जा रहे हैं। सबसे बडा लक्ष्य कुरौनी नर्सरी का है। वन विभाग की इस नर्सरी में तीन लाख पौधे तैयार किए गए हैं। इसे बड़ा टारगेट सरकार की ओर से दिया गया है।
ये भी पढ़ें..SMSP में बढ़ोत्तरी से गदगद हुए यूपी के किसान, आय बढ़ाने में साबित होगा ऐतिहासिक कदम
रिकॉर्ड बनाने में इस बार स्वयंसेवी संस्थाएं भी आई आगे
पौधरोपण (plantation) का रिकॉर्ड बनाने में इस बार स्वयंसेवी संस्थाएं भी आगे आ रही हैं। इसमे निहारिका, हरियाली उत्थान समिति के अलावा कुछ निजी प्रतिष्ठान भी पौधे लगाने का संकल्प कर चुकी हैं। एक दिन में लक्ष्य के पौधे लगाने का काम तो बड़ा है, लेकिन सरकारी स्तर पर इसकी तैयारी पूरी की जा चुकी है। इधर अभी असमंजस है कि पौधे किस दिन लगाए जाएं, क्योंकि मानसून के बारे में मौसम विभाग अभी दावा नहीं कर पा रहा है। हालांकि, 25 जून के बाद ही कुरौनी की पौधशाला से स्थानीय लोगों को भी पौधे दिए जाने हैं।
इस बार नर्सरियों मंे जो पौधे तैयार किए गए हैं, उनमें ज्यादा मांग वाले चीड़, सागौन और सीसम जैसे पौधे हैं। बंथरा क्षेत्र में कुरौनी नर्सरी के रेंजर शौकत उल्ला खां कहते हैं कि हमारे पास पौधे तैयार हैं। तीन लाख से अधिक पौधे हैं। इनमें पीपल, जामुन, नीम और बबूल भी हैं। यह पौधे सरकार उन स्थानों पर भेजती है, जहां हरियाली को खतरा रहता है। कुछ ऐसे स्थान हैं, जहां की मिट्टी खराब हो रही है।
बंजरता प्रभावित होने के कारण इनमें जिन पौधों की बढ़वार होने की संभावना रहती है, वहां इनको भेजा जाता है। पौधों की रखवाली कर रहे शंकर सिंह कहते हैं कि तमाम क्षेत्रों में पौधे लगाने के लिए गड्ढे खोदे जा रहे हैं। इनकी संख्या मिलते ही पौधों की छंटनी कर भेज दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि उम्मीद है कि जुलाई में जिस दिन पौधरोपण होगा, उसी दिन बबूल भी लगाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि बबूल जमीन को उपजाऊ बनाने में मददगार होती है।
ग्रीन कवर के बिना सूख रहे पौधे
34 करोड़ के करीब पौधे लगाए (plantation) जाने हैं। तैयार हो रहे पौधों में करीब 100 करोड़ हैं। कारण है कि सरकारी नर्सरियों में ग्रीन कवर नहीं है, इसलिए जमीन की नमी नष्ट हो जाती है। बड़े पौधों में बरगद, पीपल, पाकड़, नीम, बेल, आंवला, आम, कटहल और सहजन जैसे औषधीय पौधे भी हैं। इन सभी को ज्यादा नमी की जरूरत रहती है। यदि ग्रीन बेल्ट नहीं होंगे, तो और पौधे सूखते जाएंगे।
(रिपोर्ट- शरद त्रिपाठी, लखनऊ)
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)