नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना संकट के दौरान दिल्ली की सभी रेडलाइट्स को खत्म करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता पर ढाई हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया।
लॉ स्टूडेंट उत्कर्ष त्रिवेदी की ओर से दायर याचिका पर वकील सत्यम सिंह ने कहा कि रेडलाइट्स से समय बर्बाद होने की वजह से एंबुलेंस समय पर एक जगह से दूसरी जगह नहीं पहुंच पा रही हैं। याचिका में कहा गया था कि कोरोना की दूसरी लहर के समय मरीजों को काफी दिक्कत हो रही है। इसलिए कोर्ट दिशा-निर्देश जारी करे कि जब तक दिल्ली पूरी तरह कोरोना से उबर नहीं जाती तब तक सभी रेडलाइट्स को खत्म कर दिया जाए।
जब कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई शुरू की और याचिकाकर्ता की बातों को सुना तो कोर्ट याचिकाकर्ता से नाराज हो गया। चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने पूछा कि यह याचिका किसने दायर की है। तब वकील सत्यम सिंह ने बताया कि ये याचिका कानून के एक छात्र की है, जो फिलहाल एक एनजीओ के साथ काम कर रहा है। तब कोर्ट ने कहा कि आपको पता है कि हर रेड लाइट के साथ एक कॉरिडोर बना हुआ है जो खासतौर से एंबुलेंस के लिए ही है। तब याचिकाकर्ता ने कहा कि दिल्ली में द्वारका जैसी कई जगह हैं, जहां पर ट्रैफिक की काफी ज्यादा समस्या है। इससे एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंच पाती हैं। तब कोर्ट ने पूछा कि ट्रैफिक लाइट्स को पूरी तरह से सस्पेंड कैसे किया जा सकता है। यह तो मोटर वाहन कानून के तहत आती है।
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नाराज कोर्ट ने कहा कि आजकल कोई भी व्यक्ति चाय पीते-पीते आइडिया सोचता है कि ऐसा नहीं वैसा होना चाहिए और यह सोचते-सोचते हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी जाती है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा दिल्ली हाईकोर्ट में नहीं चलेगा। बे सिर-पैर की ऐसी याचिकाओं से कोर्ट का समय बर्बाद होता है। उसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर ढाई हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया।