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टू प्लस टू बैठक के बाद भारत-अमेरिका संयुक्त वक्तव्य में पाकिस्तान को कड़ी नसीहत

नई दिल्लीः भारत और अमेरिका के बीच हुई ‘टू प्लस टू’ मंत्री स्तरीय वार्ता के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में चीन का परोक्ष और पाकिस्तान का सीधा जिक्र किया गया। पाकिस्तान को जहां आतंकी गतिविधियों को लेकर कड़ा संदेश दिया गया, वहीं चीन को परोक्ष रूप से दक्षिण चीन सागर में उसकी गतिविधियों को लेकर चेताया गया।

पाकिस्तान का सीधा जिक्र करते हुए उसे तुरंत अपनी जमीन पर चल रही आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाने को कहा गया और 26/11, उरी और पठानकोट आतंकी हमलों के दोषियों को सजा देने की मांग की गई। दोनों देशों ने चीन का सीधा नाम लिए बिना कहा कि दक्षिण चीन सागर में ऐसी गतिविधियां नहीं होनी चाहिए, जिससे अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप किसी अन्य देश के वैध हितों और अधिकारों का हनन होता हो।

टू प्लस टू वार्ता के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य कोरोना महामारी के दौरान सहयोग, भारत प्रशांत क्षेत्र को लेकर साझा विजन, रक्षा व सुरक्षा क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाने, द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और लोगों से लोगों के बीच के संबंधों को बढ़ावा देने जैसे पांच प्रमुख बिन्दूओं पर केन्द्रित रहा।

भारत-अमेरिका संयुक्त वक्तव्य में सीमा पार आतंक के सभी रूपों की कड़ी निंदा की गई। दोनों देशों ने जोर देकर कहा है कि अलकायदा, आईएसआईएस, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे सभी आतंकी नेटवर्कों के खिलाफ मजबूत कार्रवाई करने की जरूरत है। दोनों देश आतंकी नेटवर्क, आतंकियों और उनके वित्तीय नेटवर्क की जानकारी साझा करने पर सहमत हुए।

दोनों देशों ने दोहराया कि जल्द से जल्द संयुक्त राष्ट्र को ‘यूएन कंप्रिहेंसिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म’ को अपनाना चाहिए ताकि आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग मजबूत हो। इससे एक स्पष्ट संदेश दुनिया तक जाए कि कोई भी कारण और कष्ट आतंकवाद जैसे घृणित अपराध को न्यायोचित नहीं ठहरा सकता।

स्वतंत्र, समावेशी, शांतिपूर्ण और समृद्ध भारत-प्रशांत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए दोनों देशों ने समान सोच पर बल दिया। भारत और अमेरिका ने अफगानिस्तान को स्वायत्त, शांतिपूर्ण, एकजुट, लोकतांत्रिक, समावेशी, स्थिर और सुरक्षित देश के रूप में खड़ा करने की साझा सोच को लेकर चर्चा की। इस दौरान अमेरिका ने भारत के अफगानिस्तान में व्यापार संपर्क और मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के प्रयासों का प्रशंसा की। भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता की दावेदारी और न्यूक्लियर सप्लाई ग्रुप में सदस्यता का समर्थन करते हुए अमेरिका ने अस्थाई सदस्य के तौर पर भारत के साथ मिलकर अगले 2 वर्षों के दौरान काम करने की बात कही।

इसके अलावा उधारकर्ताओं और लेनदारों के लिए जिम्मेदार, पारदर्शी और स्थायी वित्तपोषण प्रथाओं को सुनिश्चित करके विकासशील और कम आय वाले देशों में संप्रभु ऋण के निर्माण को शामिल करने की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए दोनों देशों के मंत्री ब्लू डॉट नेटवर्क के तहत सहयोग करने के तरीके तलाशने के लिए तत्पर दिखे।