Tuesday, December 17, 2024
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पीरजादा के बल पर बंगाल में 80 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं ओवैसी, जानें क्यों खास हैं सिद्दीकी

कोलकाताः पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की परेशानियां बढ़ने वाली हैं। अगले विधानसभा चुनाव में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने राज्य की 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। राज्य के मुसलमानों के बड़े मजहबी नेता पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने एआईएमआईएम को समर्थन देने की सैद्धांतिक सहमति दे दी है। जल्दी ही इसकी आधिकारिक घोषणा की जायेगी।

एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी रविवार को पश्चिम बंगाल की यात्रा पहुंचे और हुगली जिले में स्थित फुरफूरा शरीफ में धार्मिक नेता पीरजादा अब्बास सिद्दीकी से मुलाकात की। ओवैसी के करीबियों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में विधानसभा चुनाव में ओवैसी का समर्थन करने के लिए अब्बास सिद्दीकी तैयार हो गए हैं। जानकारी के मुताबिक प्रारंभिक तौर पर इस बात पर सहमति बनी है कि 80 सीटों पर उम्मीदवार उतारे जाएंगे। इनमें मूलरूप से मुर्शिदाबाद, मालदा, बीरभूम, दक्षिण 24 परगना और उत्तर 24 परगना सहित बंगाल के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में ही उम्मीदवार उतारने की तैयारी की जा रही है।

जानकारों की मानें तो राज्य की कुल आबादी का 30 फ़ीसदी हिस्सा मुस्लिम मतदाताओं का है और अब्बास सिद्दीकी का मुस्लिम समुदाय पर गहरा प्रभाव है। इसका इसी से अंदाजा और भी लगाया जा सकता है कि कुछ दिन पहले ही लोकसभा में कांग्रेस के नेता और राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी भी पीरजादा से मिलने गए थे लेकिन सिद्दीकी ने मुलाकात करने का समय नहीं दिया। जबकि ओवैसी के पहुंचने का वह इंतजार कर रहे थे और खुद ही उनके स्वागत के लिए तैयार बैठे थे। ओवैसी और सिद्दीकी में पहले भी वार्ता हो चुकी थी।

उल्लेखनीय है कि इसके पहले बिहार विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारकर ओवैसी ने पांच सीटें जीती है। ओवैसी की इसी जीत के कारण बिहार का सियासी गणित बिगड़ा, जो तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने की राह में रोड़ा बनने का कारण बना।

ममता बनर्जी का घटेगा अल्पसंख्यक वोट बैंक

राज्य में पिछले 10 साल में ममता बनर्जी की जीत के पीछे अल्पसंख्यक वोट बैंक ही रहा है। बंगाल में 33 सालों तक शासन कर चुकी वाममोर्चा पार्टियों ने इस बार विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन किया है। अल्पसंख्यक वोट बैंक का एक हिस्सा निश्चिततौर पर माकपा तथा कांग्रेस की झोली में जा सकता है। इस हिसाब से तृणमूल कांग्रेस का नुकसान होना तय माना जा रहा है।

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क्यों खास हैं सिद्दीकी

राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए पीर अब्बास सिद्दीकी इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वाममोर्चा के शासनकाल में सिंगूर और नंदीग्राम आंदोलन के दौरान उन्होंने ममता का समर्थन किया था। 2011 के विधानसभा चुनाव के समय भी वह ममता बनर्जी के पक्ष में थे, जिसका असर अल्पसंख्यक मतदाताओं पर पड़ा था। यह दरगाह राज्यभर के ही नहीं बल्कि देश के भी अल्पसंख्यक समुदाय के लिए खास है। इसलिए पीरजादा का ओवैसी के साथ जाना बड़ा संकेत है।

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