स्वास्थ्य सुरक्षा मेले का आयोजन, डॉ. शांडिल ने मोटे अनाज पर दिया जोर

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सोलन: हमारे देश और प्रदेश की जलवायु ज्वार, बाजरा, रागी, कोदा, मडुआ, सावां जैसे मोटे अनाजों के उत्पादन के लिए सर्वथा उपयुक्त है। मोटे अनाज न केवल भरपूर ऊर्जा का स्त्रोत हैं बल्कि, इनके उत्पादन में भूमि की उर्वरा शक्ति भी बनी रहती है। मोटे अनाजों के उत्पादन में जल का उपयोग भी काफी कम होता है।

स्वास्थ्य सुरक्षा मेले का किया गया आयोजन

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता और सैनिक कल्याण मंत्री कर्नल डॉ. धनीराम शांडिल ने कहा कि, स्वस्थ शरीर के लिए संतुलित आहार जरुरी है भारत और हिमाचल प्रदेश में पाए जाने वाले मोटे अनाज संतुलित आहार का मुख्य स्त्रोत हैं। दरअसल, स्वास्थ्य सुरक्षा एवं विनियमन निदेशालय सोलन द्वारा स्वास्थ्य सुरक्षा मेले का आयोजन किया गया। इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि, मोटे अनाज हमारी लगभग सभी पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम हैं। इसीलिए इन्हें ‘सुपर फूड’ के नाम से भी जाना जाता है। मोटे अनाज मानव शरीर की पाचन प्रणाली के अनुरूप हैं। उन्होंने कहा कि इन अनाजों के प्रयोग से हम वर्तमान समय के अनेक रोगों से बचे रह सकते हैं।

मोटे अनाज पर दिया गया जोर 

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि, आयुर्वेद हमें ऋतु चक्र के अनुसार भोजन का परामर्श देता है और मोटे अनाज इस आवश्यकता को पूर्ण करते हैं। उन्होंने कहा कि, आज के भागदौड़ के जीवन और जंक फूड पर निर्भरता से हम विभिन्न बीमारियों की ओर बढ़ रहे हैं। इनसे बचाव के लिए स्वस्थ जीवन शैली और संतुलित आहार-विहार आवश्यक है। उन्होंने कहा कि, विश्व के अनेक देश धीरे-धीरे मोटे अनाजों की उपयोगिता समझ रहे हैं और इनका उत्पादन समय के साथ आर्थिक रूप से भी बेहतर बनेगा। उन्होंने कहा कि सभी मोटे अनाजों को लम्बे समय तक बिना किसी रसायन के उपयोग के ठीक रखा जा सकता है।

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साथ ही उन्होंने सभी से आग्रह किया कि, देश व प्रदेश में पारम्परिक रूप से उगाये जा रहे मोटे अनाजों को नियमित रूप से अपने भोजन में सम्मिलित करें। युवा पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य एवं भावी पीढ़ियों की सुरक्षा के लिए मोटे अनाज का उपयोग ज़रूरी है।

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