वाराणसी: देव दीपावली पर्व पर सोमवार शाम उत्तरवाहिनी गंगा किनारे देवलोक सरीखा नजारा देखने के लिए लाखों लोग उमड़ पड़े। राजघाट से रविदासघाट के बीच लगभग आठ किलोमीटर के दायरे में फैले गंगा के दोनों तटों पर जले 10 लाख से अधिक दीयों की रोशनी में कलकल करती गंगा में समानान्तर प्रवाहित ज्योतिगंगा का एहसास लोगों को आह्लादित करता रहा। राजघाट से ही गंगधार असंख्य दीपों की रोशनी से एकाकार होती दिखी। लाखों-लाख दीपों की लड़ियों और गंगा किनारे आकर्षक विद्युत के झालरों से सजे भवनों, प्राचीरों पर संतरंगी रोशनी की अठखेलियां जमीं पर सितारे उतरने का भान कराती रही।
17वीं सदी में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा गढ़वाए गए इस हजारे दीप स्तंभ पर दीप जलाए जाने के बाद ही विभिन्न घाटों पर दीप मालिकाएं सजाए जाने की पहले काशी में परम्परा रही। पंचगंगा से बूंदीपरकोटा घाट की भव्य साज-सज्जा, दीपमालिकाओं की लड़ियां अद्भुत छटा बिखरेती रही। पर्व पर शीतलाघाट, दशाश्वमेध, राजेन्द्र प्रसाद घाट, पंचगंगा, राजघाट, नमोघाट (खिड़कियाघाट) और अस्सी घाट पर सर्वाधिक भीड़ देखी गयी। इसके पूर्व दुनिया के सबसे बड़े जलपर्व के खास लम्हों का साक्षी बनने के लिए अपरान्ह बाद से ही राजनेता, विदेशी मेहमानों, प्रशासनिक अफसरों के अलावा लाखों स्थानीय नागरिकों का रेला गंगा घाटों पर उमड़ने लगा। दशाश्वमेध घाट पर सतरंगी विद्युत लड़िया, आतिशबाजी, फूलों के वन्दनवार से सजे गेट, रेड कारपेट पर गंगा आरती देख श्रद्धालु अभिभूत नजर आये।
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पर्व पर गंगा के दोनों किनारों पर लगभग दस लाख से अधिक दीये जलाने से महसूस हो रहा था कि जैसे गंगा तट पर सितारे टांक दिये गये हो। यह अद्भुत नजारा देख पर्यटकों के साथ नागरिक और अतिथि यादों में इसे सजोंने के लिए कैमरे और सेलफोन से फोटो लेने में जुटे रहे। धर्म-अध्यात्म और राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत इस महापर्व पर काशी के प्रमुख घाटों पर तिल रखने की भी जगह नहीं थी। लोग दोपहर बाद से ही घाटों पर बैठकर घंटों इस ऐतिहासिक क्षण की प्रतीक्षा करते रहे। शाम को लोगों के सामूहिक प्रयास से घाटों का कोना कोना रोशनी से नहा उठा। कोई दिये में तेल डालता दिखा तो कोई दीयों में बाती रखता। लोगों ने पूरे उत्साह के साथ दीयों को प्रज्जवलित कर देव दीपावली का पर्व मनाया। हजारों लोगों ने गंगा में नाव और बजड़े पर बैठ कर इस अद्भुत नजारे को देखा। देव दीपावली देख लोगों के मुंह से अद्भुत, अलौकिक, अद्वितीय जैसे शब्द ही निकल रहे थे।
3डी प्रोजेक्शन मैपिंग लेजर शो रहा आकर्षण –
देव दीपावली पर्व पर चेतसिंह घाट पर पहली बार 3डी प्रोजेक्शन मैपिंग लेजर शो लोगों में आकर्षण का केन्द्र रहा। गंगा की गोद में शिव भजनों का लेजर और लाइट मल्टीमीडिया शो देखने के साथ लोगों ने ग्रीन पटाखों की आतिशबाजी भी देखा।
जल, थल और नभ से निगरानी –
देव दीपावली पर गंगा तट पर नागरिकों और पर्यटकों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतज़ाम रहा। गंगा किनारे और सड़क पर अफसर फोर्स के साथ मुस्तैद रहे। गंगा नदी में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम लगातार गश्त करती रही। उधर, देव दीपावली पर विश्व प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट और अस्सी घाट की गंगा आरती और सजावट लोगों ने शहर के कई स्थानों से सजीव देखा। प्रदेश सरकार की पहल पर छह प्रमुख स्थानों पर बड़ी एलईडी स्क्रीन की व्यवस्था की गई थी। सही समय पर गंगा आरती देखने के लिए हाई रिजुलेशन कैमरे लगाये गये। अस्सी घाट, दशाश्वमेध घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, राजघाट, गोदौलिया मल्टी लेवल पार्किंग व वाराणसी कैंट स्टेशन से लोगों ने सजीव प्रसारण देखा।
मुख्य आयोजन राजघाट पर –
देव दीपावली पर्व पर मुख्य आयोजन राजघाट पर किया गया। यहां प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। पर्व पर कई घाटों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। महापर्व पर 8 लाख से अधिक दीये गंगा के पश्चिमी तट पर स्थित 84 घाटों पर और उस पार रेत पर भी 2 लाख से अधिक दिये जलाये गये। इसके अलावा पूरे शहर में तकरीबन 11 लाख दीप नागरिकों ने कुंड, तालाब व जलाशयों, मंदिरों में जलाये। गंगाघाट की सीढि़यों से लेकर गंगा की लहरों तक, घरों से लेकर मंदिरों तक, हर जगह रोशनी ही रोशनी दिखी। संत रविदास घाट से लेकर नमो घाट तक देवों के स्वागत में आकर्षक और रंग-बिरंगी रंगोलियां तैयार की गई। शाम को उसी रंगोली पर दीपक भी प्रज्जवलित किए गये। देव दीपावली पर्व को पूरे बनारस में पूरे श्रद्धा और उल्लास से मनाया गया।
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