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महानवमी के दिन कन्या पूजन से होती है समस्त सिद्धियों की प्राप्ति, जानें शुभ मुहूर्त

नई दिल्लीः शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन को ‘महानवमी’ के नाम के जाना जाता है। इस दिन मां भगवती के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की आराधना के साथ ही हवन और कन्या पूजन का भी विधान है। नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन से मां दुर्गा बेहद प्रसन्न होती हैं और अपने भक्त की समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। इस साल महानवमी (Mahanavmi) 4 अक्टूबर (मंगलवार) को मनायी जाएगी। हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक मां सिद्धिदात्री की भक्तिभाव के साथ आराधरना करने से भय, रोग और शोक का अंत होता है। इस बार महानवमी (Mahanavmi) के दिन सुकर्मा और रवि का शुभ संयोग बन रहा है। 4 अक्टूबर को रवि योग पूरे दिन रहेगी। जबकि सुकर्मा योग 4 अक्टूबर को सुबह 11.23 मिनट के बाद शुरू होगी।

महानवमी का शुभ मुहर्त
नवरात्र की अष्टमी तिथि के दिन 3 अक्टूबर को शाम 04.37 मिनट से नवमी तिथि प्रांरभ हो जाएगी। जो 4 अक्टूबर को दोपहर 02.20 मिनट तक रहेगी। इसके बाद दशमी तिथि लग जाएगी। इसलिए मंगलवार को नवमी तिथि में दोपहर 01.30 बजे से पूर्व हवन और कन्या पूजन करना बेहद शुभ होगा।

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इस तरह करें कन्या पूजन (Kanya Pujan)
नवरात्र के नौवें दिन हवन के बाद कन्या पूजन का विधान है। कन्या पूजन (Kanya Pujan) के लिए नौ कन्याओं और एक बालक को अपने घर पर सादर आमंत्रित करें। हिंदू मान्यताओं के अनुसार कन्याओं के रूप में मां दुर्गा ही आपके घर पधारती हैं। नौ कन्याओं को मां भगवती और एक बालक को भैरव का स्वरूप माना जाता है। सभी कन्याओं और बालक के पैरों को स्वच्छ जल से धोएं और फिर उन्हें आसन पर बिठाएं। इसके बाद सभी कन्याओं और बालक को तिलक लगाये और रक्षा सूत्र बाधें। इसके बाद सभी को भोजन परोसें। इस बात का ध्यान रखें कि कन्याओं को भोजन परोसने से पूर्व मंदिर में मां को भोग जरूर लगायें। इसके बाद सभी कन्याओं और भैरव स्वरूप बालक को भली प्रकार से भोजन करायें और प्रसाद के रूप फल दें। भोजन के बाद सभी को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा और उपहार अवश्य दें। फिर कन्याओं और बालक के चरणों को स्पर्श कर आशीर्वाद लें और उन्हें ससम्मान विदा करें।

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