जींदः एशियन चैंपियनशिप में भले ही हरियाणा की अंशु मलिक कोई मेडल नहीं ला पाई हो पर अपने हौंसले के दम पर ठीक दो माह बाद कुश्ती की विश्व चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गई है। हालांकि फाइनल में अंशु मलिक को हार का सामना करना पड़ा। अंशु फाइनल में अमेरिका की हेलेन मारौलिस के हाथों 4-1 से हार गईं। हार के बाद अंशु दर्द से जूझती दिखीं और रो पड़ीं।
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57 किलोग्राम भार वर्ग के इस खिताबी मुकाबले में वह जूनियर यूरोपीय चैंपियन सोलोमिया विंक को हरा कर पहुंची थी। अगर अंशु अपना फाइनल मुकाबला जीत जाती तो वह यह कारनामा करने वाली पहली महिला और दूसरी भारतीय होती। इससे पहले भारतीय पहलवान सुशील कुमार ही इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में गोल्ड जीतने में सफल रहे हैं। सुशील ने वर्ष 2010 में भारत को इकलौता गोल्ड दिलाया था। खेल स्कूल निडानी की अंशु विश्व कुश्ती फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान है। अंशु मलिक से पहले चार महिला पहलवानों ने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक ही जीते हैं लेकिन कोई पहलवान फाइनल तक नहीं पहुंच सकी थी। ऐसे में अंशु मलिक के सिल्वर मेडल जीतने पर उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लग गया है।
11-0 से दर्ज की जीत
नार्वे में आयोजित विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में 20 वर्षीय अंशु ने शुरू से ही अपना दबदबा बनाए रखा और तकनीक के आधार पर युक्रेन की सोलोमिया को 11-0 से जीत दर्ज करके 57 किलोग्राम भार वर्ग के फाइनल में पहुंच गई। इससे पहले अंशु मलिक ने एकतरफा मुकाबले में कजाकिस्तान, की निलुफर रेमोवा को हराया। फिर क्वार्टर फाइनल में मंगोलिया की देवचिमेग को 5-1 से मात दी। फाइनल मुकाबले में अंशु मलिक को हार का सामना करना पड़ा और उन्होंने सिल्वर मेडल जीत कर भारत देश का नाम रोशन किया। जुलाना के विधायक अमरजीत ढांडा ने कहा कि अंशु मलिक ने न केवल जुलाना क्षेत्र बल्कि भारत वर्ष का नाम पूरे विश्व में चमका दिया है। अंशु मलिक आज महिला खिलाडियों के लिए मिसाल बन गई हैं।
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