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कैंसर से लड़ने में मदद करेगी नई इम्यूनोथेरेपी

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New Delhi:  अमेरिकी शोधकर्ताओं ने एक नई इम्यूनोथेरेपी तकनीक विकसित की है जो संभावित उपचार के रूप में साइटोकिन प्रोटीन का उपयोग करती है और स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना ट्यूमर को प्रभावी ढंग से लक्षित करती है।  साइटोकिन्स सबसे छोटे प्रोटीन अणु होते हैं जो शरीर में सूजन की समस्या को नियंत्रित करने में मदद करते है।

कैंसर से लड़ने के लिए नई इम्यूनोथेरेपी 

टेक ऑफ इंजीनियरिंग की टीम ने एक नई तकनीक का विकास किया है। जो ये तय करती है कि, प्रतिरक्षा कोशिका साइटोकिन्स को बढ़ावा देती है साथ ही ये अन्य टीशू को अंगों में फैलने से रोकती है। 

बता दें, वर्जीनिया टेक में केमिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर रोंग टोंग ने कहा, "कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए प्रतिरक्षा कोशिकाओं को उत्तेजित करने में साइटोकिन्स अत्यधिक प्रभावी हैं। साथ ही "उन्होंने कहा, "समस्या यह है कि, वो इतने ताकतवर हैं कि, अगर वो पूरे शरीर में घूमते हैं तो वो अपने सामने आने वाली हर प्रतिरक्षा कोशिका को एक्टिव कर देंगे, जिससे शरीर को घातक दुष्प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है। 

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इसके विपरीत मौजूदा कैंसर उपचारों में कीमो क्लिनिक और कैंसर के बीच का अंतर नहीं है, जिससे बालों का झड़ना और थकान जैसी स्थिति होती है, क्योंकि यह शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है। सके विपरीत मौजूदा कैंसर उपचारों में कीमो क्लिनिक और कैंसर के बीच का अंतर नहीं है, जिससे बालों का झड़ना और थकान जैसी स्थिति होती है, क्योंकि यह शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है। वर्जिन ने जर्नल साइंस एडवांसेज में प्रकाशित पेपर में कहा, ''ट्यूमर पर हमला करने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देना कैंसर के इलाज का एक आशाजनक विकल्प है। साइटोकिन्स ट्यूमर में रोग प्रतिरोधक क्षमता शुरू हो सकती है लेकिन स्वस्थ्य परमाणु को बढ़ावा मिलने से गंभीर प्रभाव हो सकते हैं।''

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