NEET Paper Leak, पटना: नीट (यूजी) पेपर लीक मामले की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) करेगी। अब तक आर्थिक अपराध इकाई (EOU) द्वारा इस मामले की जांच का दायरा कई अन्य राज्यों तक बढ़ गया है। इंजीनियर सिकंदर यादवेंदु की गिरफ्तारी के बाद इस कथित पेपर लीक मामले का खुलासा हुआ है। अब जब जांच आगे बढ़ रही है तो इसमें कई लोगों और बड़े नेटवर्क के शामिल होने की जानकारी मिल रही है। बिहार और पड़ोसी राज्य झारखंड में ताबड़तोड़ हो रही गिरफ्तारियों और आरोपियों के कबूलनामे से यह साफ है कि संगठित गिरोह ने परीक्षा आयोजित करने वाले कर्मियों की मिलीभगत से पेपर लीक करने का बड़ा खेल खेला।
5 मई को हुई थी सिकंदर यादवेंदु की गिरफ्तारी
5 मई को पुलिस ने पटना के शास्त्रीनगर थाना क्षेत्र के बेली रोड के पास पेपर लीक का मास्टरमाइंड जूनियर इंजीनियर सिकंदर यादवेंदु को गिरफ्तार किया था। उसकी कार की तलाशी के दौरान पुलिस को चार नीट परीक्षार्थियों के एडमिट कार्ड मिले। इसके बाद पुलिस के कान खड़े हो गए। पटना के विभिन्न इलाकों में छापेमारी की गई और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया। आर्थिक अपराध इकाई ने शुरू में ही स्पष्ट कर दिया था कि पेपर लीक (NEET Paper Leak) हुआ है। इकाई ने 10 मई को पुलिस को तकनीकी सहयोग दिया और 17 मई को जांच अपने हाथ में ले ली। इसके बाद जब जांच का दायरा बढ़ा तो मामला परत दर परत खुलता गया और कड़ियां जुड़ती चली गईं।
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CBI के सामने गिरोह के सरगना को ढूंढ़ने की बड़ी चुनौती
EOU ने 18 और 19 जून को परीक्षार्थियों को पूछताछ के लिए बुलाया। गिरफ्तार लोगों के कबूलनामे और मिले सबूतों के बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने ईओयू से जांच रिपोर्ट मांगी। इस बीच ईओयू ने झारखंड के विभिन्न शहरों में भी छापेमारी की और कई और लोगों को गिरफ्तार किया। इसके बाद यह स्पष्ट हो गया कि प्रश्नपत्र झारखंड के एक परीक्षा केंद्र से लीक हुआ था और वहीं से बिहार पहुंचा। हालांकि जांच अभी भी जारी है। ईओयू और सीबीआई के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस गिरोह के सरगना को ढूंढ़ना और दोषियों को सजा दिलाना होगा।
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