Sunday, October 6, 2024
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ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के कौशल को निखारने की जरूरत: डॉ सिंह

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प्रयागराजः उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की शिक्षा विद्या शाखा के तत्वावधान में भारतीय पुनर्वास परिषद नई दिल्ली द्वारा अनुमोदित त्रिदिवसीय आईसीटी एंड एजुकेशन ऑफ चिल्ड्रेन विद ऑस्टिम स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर्स विषय पर सतत पुनर्वास कार्यक्रम सीआरई का शुक्रवार को समापन हो गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड के पूर्व उपाध्यक्ष डाॅ. आर.के. सिंह ने कहा कि ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के कौशल को निखारने की आवश्यकता है। इसके लिए उन्हें प्रेरणा प्रोत्साहन और सहयोग चाहिए। उन्होंने कहा कि दिव्यांग विद्यार्थियों के पठन-पाठन में विशेष उपकरण और पाठ्य आधारित सहगामी क्रियाओं की आवश्यकता होती है। उन्होंने ब्रेल लिपि से संबंधित संग्रहालय को आज की आवश्यकता बताया। विश्वविद्यालय में इस तरह की सुविधा उत्पन्न होने से दृष्टिबाधित छात्र अपनी क्षमता का विस्तार कर सकते हैं। दृष्टि बाधित होना चुनौती नहीं बल्कि यह कुछ कर दिखाने के लिए एक अवसर प्रदान करता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने कहा कि तीन दिवसीय सतत पुनर्वास कार्यक्रम का उद्देश्य यही था कि सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग और उपयोग से आटिज्म पीड़ित बच्चों का जीवन किस तरह संवारा जा सकता है, अब यह मशाल शिक्षार्थियों और युवाओं के हाथ में है। ऑटिज्म पीड़ित बच्चों को मुख्यधारा में लाना ही इसका उद्देश्य है। आज पूरे देश और विश्व में एक संदेश और जागरूकता की आवश्यकता है। इसका प्रमुख साध्य भी शिक्षा है। अतः विशेष शिक्षा के जरिए उन पीड़ितों की भावनाओं को पहचानना होगा और सभी दिव्यांगों दृष्टिबाधित छात्रों को प्रेरणा एवं सहयोग प्रदान करना होगा। इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत शिक्षा विद्या शाखा के निदेशक प्रोफेसर पी के स्टालिन ने किया। त्रिदिवसीय सतत पुनर्वास कार्यक्रम की रिपोर्ट कार्यक्रम की समन्वयक डॉ नीता मिश्रा ने प्रस्तुत की। संचालन डॉक्टर रवीन्द्र नाथ सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर छत्रसाल सिंह ने किया। प्रतिभागियों ने कार्यशाला के अपने अनुभव साझा किए।

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कार्यशाला के 9 तकनीकी सत्रों में कमलाकांत पांडे, सुषमा सिंह,डॉ नीता मिश्रा, डॉ कमलेश तिवारी, डॉ संजय कुमार सिंह, परविंद कुमार वर्मा, एस एस मिश्रा, डॉ आर के सिंह, प्रोफेसर पी के पांडेय, प्रोफेसर छत्रसाल सिंह आदि ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में विश्व विद्यालय के सभी निदेशक, शिक्षक, कुलसचिव एवं छात्र-छात्राएं आदि उपस्थित रहे। कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने इस अवसर पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए।

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