Nag Panchami 2024 , उज्जैन: देश भर में आज नागपंचमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। नागपंचमी का पर्व हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मनाया जाता है। सिर्फ भारत ही नहीं नेपाल और हिंदू आबादी वाले अन्य दक्षिण एशियाई देशों में लोग नागपंचमी पर्व धूमधाम से मनाते हैं। वहीं धार्मिक नगरी उज्जैन में नाग पंचमी के अवसर पर महाकालेश्वर मंदिर से लेकर नागचंद्रेश्वर मंदिर तक श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है।
साल में एक बार खुलते है नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट
साल में एक बार खुलने वाले नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट देर रात खोले गए। सुबह से ही शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है। नाग पंचमी के अवसर पर उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट खुलते हैं। ऐसा अवसर साल में एक बार ही आता है जब इस मंदिर के कपाट खुलते हैं। गुरुवार-शुक्रवार की मध्य रात्रि को पंचायती अखाड़े के महंत विनीत गिरी महाराज और महाकालेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर नीरज सिंह ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और मंदिर के कपाट खोले।
शुक्रवार रात 12 बजे तक खुले रहेंगे मंदिर के कपाट
ये कपाट शुक्रवार रात 12 बजे तक खुले रहेंगे। नाग पंचमी (Nag Panchami 2024) के अवसर पर नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन का विशेष महत्व है और यही वजह है कि देश के विभिन्न हिस्सों से लोग यहां विशेष अनुष्ठान करने के लिए पहुंचते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए प्रशासन की ओर से विशेष इंतजाम किए गए हैं।
श्री #महाकालेश्वर मंदिर के शीर्ष पर स्थित एवं वर्ष में एक बार नाग पंचमी के पावन पर्व पर खुलने वाले भगवान #नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट परंपरानुसार रात 12 बजे खोले गए।
नागचंद्रेश्वर महादेव की कृपा सभी पर सदैव बनी रहे।#NagaraPanchami pic.twitter.com/Lur1TJbW2N
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) August 9, 2024
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यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर स्थित है और यहां नेपाल से 11वीं शताब्दी की मूर्ति लाकर स्थापित की गई है। यह ऐसी मूर्ति है जिसमें नाग चंद्रेश्वर को सात सांपों ने ढका हुआ है, साथ ही शिव पार्वती और उनके वाहन नंदी और सिंह भी विराजमान हैं।
मध्य प्रदेश में जगह-जगह हो रहे विशेष आयोजन
मध्य प्रदेश में Nag Panchami के अवसर पर मंदिरों से लेकर अन्य स्थानों पर विशेष आयोजनों का सिलसिला जारी है। कहीं विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है तो कहीं धार्मिक अनुष्ठानों के साथ भंडारे भी आयोजित किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, कई स्थानों पर मेले भी लगे हैं और श्रद्धालु मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना के अलावा मेले का आनंद भी ले रहे हैं।