लखनऊः नगर निगम लखनऊ काफी धनवान है। इसका मतलब है कि उसके पास विकासपरक योजनाओं के लिए पैसों की कमी नहीं है। कुछ योजनाओं के बारे में तो लोगों को पता भी नहीं है, इनके जरिए काम करने के लिए निगम में करोड़ों रूपया पहुंचता है। इसके बाद भी अफसर बजट से खुश नहीं होते हैं।
नगर निगम को विकास कार्यों के लिए मिलता है भारी भरकम धन
लखनऊ नगर निगम को कई योजनाओं के तहत काम कराना होता है। इसमें अमृत योजना, स्मार्ट सिटी, महापौर का कोटा, नगर आयुक्त का कोटा, स्वच्छ भारत मिशन, सांसद निधि, समग्र विकास निधि, नगरीय सड़क सुधार योजना, विधायक निधि, मुख्यमंत्री नगर सृजन योजना के अलावा प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के पास से काफी बजट मिलता है। इसके अलावा दैवीय आपदा से निपटने के लिए भी बजट मिलता है। कुछ और भी धन नगर निगम को विकास कार्यों के लिए मिलता है यानी धन की कमी नहीं होती है।
नगर निगम के पास हाउस टैक्स, डॉगी और काऊ लाइसेंस, जुर्माना, अहाना एंक्लेव, प्रधानमंत्री आवास के जरिए भी अच्छी कमाई होती है। कई बार ऐसे अवसर आए, जब नगर निगम का विभिन्न मदों पर मिला धन पूरी तरह से खर्च भी नहीं हो पाया था। यह बात खुद नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने स्वीकारी है। जिस मद में सरकार से 28 करोड़ मिलते थे, वर्तमान में 45 करोड़ 2023 में ही मिल चुके हैं। 15वें वित्त योजनाओं से 150 करोड़ रूपए नगर आयुक्त को मिले, जिसमें पूरा धन प्रयोग नहीं हो पाया, इसमें करीब 90 करोड़ रूपए के ही काम हो पाए थे।
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पार्षद उठा चुके है सवाल
नगर आयुक्त अब बचे पैसे को ढांचागत व्यवस्था में लगाने का पूरा मन बना चुके हैं। महापौर का बजट भी पिछले वित्त वर्ष में चर्चा का विषय रहा है। बहरहाल, 15 करोड़ से 35 करोड़ के बीच की खाई पर पार्षद भी सवाल उठा चुके हैं। 2023-2024 का वित्तीय वर्ष अभी दो दिन पहले ही समाप्त हुआ। निगम में अगले वित्तीय वर्ष पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। इस बजट में हाउस टैक्स के लिए 31 मार्च तक नगर निगम में टेंट लगाकर काम किया गया।
टारगेट पर काम चलता रहा। अधिकारी खुद माइक लिए सड़कों पर अनाउंसमेट करते रहे लेकिन पन्नों पर हमेशा की तरह चर्चा में रही योजनाएं ही काम दिखा रही हैं। इसमें सबसे ज्यादा खर्च कूड़ा प्रबंधन पर किया गया है। 2024-2025 में भी बड़ा बजट इसी प्रबंधन पर ही खर्च किया जा सकता है।