ये हैं लखनऊ के सबसे प्रसिद्ध हनुमान मंदिर, भक्तों की हर मनोकामना होती है पूरी

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लखनऊः लखनऊ अपने ऐतिहासिक मंदिरों और संस्कृति के लिए अलग पहचान रखता है। लखनऊ में भगवान हनुमान के कई प्राचीन और सिद्धपीठ मंदिर हैं। कहा जाता है कि इन मंदिरों में दर्शन करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। यहां हर मंगलवार, बड़े मंगल और हनुमान जयंती पर पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की लंबी कतारें भी लगती हैं।

हनुमान सेतु मंदिर

लखनऊ में लोगों की अटूट आस्था का केंद्र हनुमान सेतु एक ऐसा चमत्कारी स्थान है, जहां से कोई खाली हाथ नहीं जाता। यहां अंजनी पुत्र हनुमान को चिट्ठी वाले बाबा और ‘स्नातक हनुमान’ भी कहा जाता है। हालांकि, इसके पीछे की हकीकत बहुत कम लोग जानते हैं। दरअसल, देश-विदेश से भक्त अपनी मनोकामनाएं चिट्ठियों पर लिखकर मंदिर के पते पर भेजते हैं। हर साल भक्त करीब तीन लाख चिट्ठियां बाबा के दरबार में भेजते हैं। वहीं, रात 10 बजे के बाद जब मंदिर के पट बंद हो जाते हैं तो पुजारी हनुमान जी के चरणों में बैठकर उन्हें सारी चिट्ठियां पढ़कर सुनाते हैं। पुराना हनुमान मंदिर

पुराना हनुमान मंदिर

अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर की स्थापना के बारे में कई मत हैं, एक मत के अनुसार मंदिर का निर्माण अवध के छठे नवाब सआदत अली खान की मां छतर कुंवर ने करवाया था। अवध के नवाब शुजाउद्दौला की यह बेगम हिंदू थीं और चूंकि सआदत अली खान का जन्म मंगलवार को हुआ था, इसलिए उन्हें प्यार से मंगलू भी कहा जाता था। मंगलवार हनुमान जी का दिन है, इसलिए हिंदुओं के साथ-साथ नवाब की आस्था भी इस दिन से जुड़ी हुई है। छतर कुंवर को बेगम आलिया भी कहा जाता था। उनकी आस्था के कारण ही मंदिर का निर्माण हुआ था। हर साल ज्येष्ठ माह में मंगलवार को यहां मेला लगता है और आज ज्येष्ठ माह का तीसरा मंगलवार है और जगह-जगह भंडारे भी आयोजित किए जा रहे हैं।

नया हनुमान मंदिर

लखनऊ के अलीगंज में हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर स्थित है। यह मंदिर कई साल पुराना है। इसकी मान्यता के चर्चे दूर-दूर तक फैले हुए हैं। जो भी व्यक्ति एक बार इस मंदिर में जाता है, उसकी मनोकामना बहुत जल्द पूरी होती है और अगर कोई व्यक्ति पूरी लगन से दर्शन करने आता है, तो उसके कष्ट बहुत जल्द दूर हो जाते हैं।

पंचमुखी हनुमान मंदिर

यह मंदिर लखनऊ के आलमबाग में स्थित है। यह लखनऊ का सबसे बड़ा और अद्भुत मंदिर है जहाँ लोग इस मंदिर में हनुमान जी को डॉक्टर के रूप में भी पूजते हैं। ऐसा माना जाता है कि कैंसर रोग से घिरे लोगों के रोग बहुत जल्द ठीक हो जाते हैं। एक बार दर्शन करने से ही कैंसर रोग से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए इस मंदिर को बहुत ही अद्भुत मंदिर माना जाता है।

प्राचीन श्री लेटे हुए हनुमान जी मंदिर

गोमती के तट पर स्थित श्री लेटे हुए हनुमान जी की मूर्ति एक चट्टान के रूप में है जो 250 साल से भी पहले माँ गोमती के तट की दिशा बदलने के कारण रेत से प्रकट हुई थी। इस मूर्ति को सीधा खड़ा करने के बहुत प्रयास किए गए लेकिन यह एक चट्टान के रूप में ही स्थापित रही और फिर उसी रूप में स्थापित कर दी गई। इस प्राचीन हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार 1860 से 1875 के बीच एक सिद्ध संत ने करवाया था, जो प्रतिदिन स्नान और ध्यान के लिए गोमती में आते थे। उसके बाद इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1925 के आसपास पंचवटी घाट के संत मौनीबाबा ने करवाया था, जिसकी उस समय की ईंटें भी खुदाई से मिली हैं।

हनुमंत धाम मंदिर

लखनऊ में बने नए मंदिरों में हनुमंत धाम मंदिर सबसे लोकप्रिय है। हनुमान धाम अंजनीसुत हनुमान और भगवान शंकर को समर्पित है। भगवान हनुमान के अलावा यहां आपको नवग्रह, दुर्गा मां, सरस्वती मां, राधा-कृष्ण, लक्ष्मी नारायण और राम दरबार के दर्शन होते हैं। इस मंदिर में छोटी-बड़ी मूर्तियों को मिलाकर हनुमान जी की एक लाख से भी अधिक मूर्तियां स्थापित हैं। हनुमंत धाम गोमती नदी के किनारे बना है। इसके अंदर आपको हनुमान वाटिका देखने को मिलती है जो बेहद साफ-सुथरी और आकर्षक है। यहां की शांति, हरियाली, संरचना और वातावरण वाकई आपका मन मोह लेगा।

मकरध्वज के साथ विराजमान हैं हनुमान

लखनऊ के चौक इलाके में बड़ी काली जी मंदिर के प्रांगण में एक मंदिर है जहां हनुमान जी अपने बेटे के साथ विराजमान हैं। मान्यता है कि मकरध्वज और हनुमान जी के सामने बैठकर इस मंदिर में पूजा अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहां मंदिर में हनुमान जी के बगल में मकरध्वज की मूर्ति स्थापित की गई है।

छाछी कुआं का हनुमान मंदिर

पुराने लखनऊ में 400 साल पुराना मंदिर है जिसे छाछी कुआं हनुमान मंदिर कहते हैं। जानकारी के अनुसार बाबा 1008 परमेश्वर दास महाराज 1585 में अयोध्या से लखनऊ आए थे। उन्होंने इस मंदिर के अंदर बने कुएं के पास अपना डेरा लगाया था। एक दिन उनका कमंडल इस कुएं में गिर गया। लोगों ने काफी कोशिश की, लेकिन उसे निकाल नहीं पाए। जब ​​बाबा ने खुद रस्सी फेंकी तो पहली बार में कमंडल के साथ ही राम भक्त बजरंगबली की एक छोटी सी दुर्लभ मूर्ति भी बाहर आ गई, जो आज भी इस मंदिर में मौजूद है। दूसरी बार जब उन्होंने फिर से कमंडल कुएं में डाला तो छाछ निकली, जिसे बाबा ने फिर से कुएं में पलट दिया। नतीजा यह हुआ कि 3 दिन तक उस कुएं से सिर्फ छाछ ही निकलती रही। कहा जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास भी यहां आ चुके हैं। इस मंदिर को अयोध्या के हनुमानगढ़ी के बराबर माना जाता है। यहां हनुमान जी की मूर्ति की 12 भुजाएं हैं। त्रिशूलधारी हनुमान मंदिर का ऐसा स्वरूप आपको कहीं और नहीं मिलेगा।

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ज्येष्ठ माह का तीसरा मंगलवार

आज ज्येष्ठ माह का तीसरा मंगलवार है। आज लखनऊ के सभी हनुमान मंदिरों में दिनभर भक्तों की भीड़ रहेगी। भक्तों की भीड़ को देखते हुए कुछ लोगों ने सभी मंदिरों में भक्तों के लिए भंडारा वितरण का भी आयोजन किया है और यह आयोजन पूरे दिन चलता रहेगा।

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