Sunday, December 22, 2024
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Homeप्रदेशहिमाचल प्रदेशMGNREGA ने बदली ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी

MGNREGA ने बदली ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी

मंडी: मंडी जिले के एक छोटे से गांव कलोथर की रहने वाली कौशल्या देवी की कहानी एक प्रेरणा है जो हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act) (MGNREGA) के प्रभाव को बखूबी दर्शाती है। कौशल्या देवी ने कभी नहीं सोचा था कि मजदूरी का काम उनकी जिंदगी को इस तरह बदल देगा। लेकिन आज वह खुश हैं क्योंकि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा मनरेगा की दिहाड़ी 240 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये करने के फैसले ने उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला दिया है।

MGNREGA से कैसे आगे बढ़ रहीं महिलाएं

कौशल्या देवी का कहना है कि पहले घर चलाना मुश्किल था, लेकिन अब मनरेगा से बढ़ी आमदनी से हम अपने परिवार का पालन-पोषण अच्छे से कर पा रहे हैं। मैं मुख्यमंत्री का तहे दिल से आभार व्यक्त करती हूं, जिन्होंने इस बढ़ोतरी से हमारी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है। कौशल्या का कहना है कि मनरेगा ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाया है बल्कि इससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने का मौका भी मिला है। उनकी तरह कई और ग्रामीण महिलाएं, जिनकी आवाज अक्सर अनसुनी रह जाती है, अब अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाने में सक्षम हैं।

मनरेगा मजदूरी में यह ऐतिहासिक वृद्धि ग्रामीण महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई है। इससे मंडी जिला की डेढ़ लाख से अधिक महिलाएं सीधे तौर पर लाभान्वित हुई हैं। इस वृद्धि का न केवल महिलाओं के जीवन स्तर पर असर पड़ रहा है, बल्कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत हुई है। मंडी जिला में अब तक मनरेगा के तहत 280 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा चुके हैं। इसके तहत 75 लाख से अधिक कार्य दिवस अर्जित किए गए हैं, जिनमें से 52 लाख से अधिक कार्य दिवस महिलाओं ने अर्जित किए हैं। यह आंकड़ा इस बात का प्रतीक है कि महिलाएं अब अपने परिवार की आर्थिकी में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

मुख्यमंत्री ने बढ़ाई MGNREGA की मजदूरी

गोहर विकास खंड की निवासी शुद्धि देवी का कहना है कि जब से दिहाड़ी बढ़ी है, तब से हम घर पर काम करते हुए अच्छी कमाई कर पा रहे हैं। पहले हम केवल घरेलू कामों तक ही सीमित थे, लेकिन अब बाहर जाकर काम करके खुद को सशक्त महसूस कर रहे हैं। यह कहानी केवल कौशल्या देवी और शुद्धि देवी की ही नहीं है, बल्कि जिला के हजारों परिवारों की है, जिन्हें मनरेगा के माध्यम से रोजगार मिला और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई। ग्राम पंचायत गोहर निवासी मोहन लाल का कहना है कि कोविड के दौरान उनकी नौकरी चली गई, लेकिन उन्होंने मनरेगा के माध्यम से अपने परिवार का पालन-पोषण किया।

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मुख्यमंत्री का धन्यवाद, जिन्होंने दिहाड़ी 60 रुपये बढ़ाई, जिससे हमें काफी राहत मिली। उपायुक्त मंडी अपूर्व देवगन ने कहा कि हमने हर संभव प्रयास किया है कि मनरेगा के तहत रोजगार चाहने वाले हर व्यक्ति को काम मिले। इस वर्ष अब तक 75 लाख से अधिक कार्य दिवस अर्जित किए जा चुके हैं और हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में यह संख्या और बढ़ेगी।

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