Maharashtra: महाराष्ट्र में कुपोषण बनी बड़ी चुनौती, 3 महीने में 2,403 बच्चों की मौत

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मुंबई: महाराष्ट्र में पिछले तीन महीनों में कुपोषण (malnutrition in Maharashtra) के कारण 2,403 बच्चों की मौत हो गई है। इनमें से आदिवासी इलाकों में कुपोषण से मरने वाले बच्चों की संख्या 730 है। यह जानकारी एकीकृत बाल विकास सेवा योजना की ओर से दी गई है।

मंगलवार को एकीकृत बाल विकास सेवा योजना ने आंकड़े जारी किये हैं। जानकारी के मुताबिक, पिछले तीन महीने में शून्य से एक साल के 661 और एक से एक साल के 172 बच्चों की मौत कुपोषण (malnutrition in Maharashtra) के कारण हो चुकी है। इसी तरह राज्य में 5 साल से लेकर शून्य से पांच साल तक के 179 बच्चों की मौत हो चुकी है। राज्यभर में 2,403 बच्चों की मौत हुई. इनमें से 730 बच्चों की मौत सिर्फ आदिवासी इलाकों में हुई। जनवरी और मार्च 2023 के बीच आदिवासी क्षेत्र में शून्य से एक और एक से पांच साल की उम्र के कुल 237 बच्चों की मौत हुई थी।

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10 महीनों में 10 हजार से अधिक बच्चों की मौत

कोरोना महामारी के दौरान 2022 के पहले दस महीनों में 10,285 बच्चों की मौत दर्ज की गई थी। इसी अवधि के दौरान जनजातीय क्षेत्र में शून्य से एक आयु वर्ग के बच्चों की मृत्यु की संख्या 1,931 थी, जबकि 1 से 5 वर्ष के आयु वर्ग में 2,224 मौतें दर्ज की गईं।

रोकथाम के प्रयास जारीः डाॅ. दीपक सावंत

महाराष्ट्र एकीकृत बाल विकास योजना के अध्यक्ष डॉ. दीपक सावंत ने कहा कि कुपोषण (malnutrition in Maharashtra) की रोकथाम के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। आमतौर पर इस समय 80 प्रतिशत प्रसव प्रसूति अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में होते हैं। इस संख्या को 95 फीसदी तक ले जाना है। गर्भावस्था के दौरान देखभाल की कमी, प्रसव के दिनों की अपर्याप्त संख्या जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। राज्य में मेलघाट, धारनी, चिखलदरा आदि क्षेत्रों में कुपोषण की दर अधिक है, इन क्षेत्रों पर ध्यान दिया जा रहा है।

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