लखनऊः बहुत से लोगों का सपना होता है कि वे अपने घर में तरह-तरह की सब्जियों के पौधे लगाएं। ऐसे में उन्हें पौधे लगाने के लिए गमलों या ग्रो बैग का उपयोग करना पड़ता है। सबसे कठिन काम पौधे को हमेशा स्वस्थ और हरा-भरा रखना होता है, जबकि पौधे लगाना काफी आसान होता है। जब गमले में पौधे लगाए जाएं, तो उनको अच्छी मिट्टी की जरूरत होती है। किसी भी पौधे की अच्छी ग्रोथ के लिए एक अच्छी उपजाऊ मिट्टी चाहिए होती है। गमलों की मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए कई प्रयास किए जाने चाहिए।
गमले की मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए पौधों की बढ़वार से संबंधित सभी तत्व चाहिए। इसमें पानी, धूप, खाद और कीड़े बचने की दवा महत्वपूर्ण हैं। एक स्वस्थ पौधे के लिए उपजाऊ मिट्टी सबसे ज्यादा जरूरी होता है। नियमित रूप से पोषण वह भी समय से होना चाहिए। खाद में अगर नाइट्रोजन की मात्र ज्यादा होगी, तो यह आपके गमले की मिट्टी के लिए बहुत अच्छा होगा। मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए आपको नाइट्रोजन युक्त खाद को मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाना होगा। गमलों में ऊपर से ऐसी उपज के तत्व छिड़कने से ज्यादा फायदा नहीं होगा, जरूरी है कि मिट्टी में ही इसे मिलाएं। मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए गाय के गोबर में गुड़ मिलाकर भी डाला जाता है। यह भी पौधों को ज्यादा दिन तक हरा-भरा रखने में मदद करता है। इसी तरह पौधे को स्वस्थ बनाने के लिए सही मात्रा में पानी जरूरी होता है।
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जरूरत से ज्यादा पानी मिट्टी और पौधे के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है, इसलिए गमले में तभी पानी डालें जब ऊपरी परत सूखी दिखाई दे। यदि मिट्टी ज्यादा सख्त या चिकनी है, तो उसे नरम बनाने के लिए इसमें रेत या बालू मिला देने से उपजाऊ हो सकती है। इसी तरह उर्वरक शक्ति बढाने के लिए कैल्शियम की भी जरूरत होती है। इसके लिए स्टोन पाउडर मिलाने से कैल्शियम की कमी पूरी हो जाती है। इसके अलावा अंडे के छिलकों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। पत्तों की खाद में भी काफी मात्रा में पोषक तत्व होते हैं। इससे पौधे को हरा भरा बनाने में काफी मदद मिलती है। गांवों के लोग आज भी नीम की खली का इस्तेमाल करते हैं। यह गमले की मिट्टी को उपजाऊ बनाने में मदद तो देती ही है, साथ ही नीम की निबोली मिलाकर डालने से मिट्टी में कीड़े नहीं पहुंच पाते हैं। मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटैशियम, आयरन, जिंक, कॉपर की उचित मात्रा के लिए गोबर की खाद, कंपोस्ट खाद या हरी खाद समय-समय पर डालते रहना चाहिए।
- शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट
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