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Mahakumbh 2025 : अद्भुत, अलौकिक ‘महाकुंभ’ को देख गदगद हुए विदेशी श्रद्धालु, बोले- हम धन्य हुए

Mahakumbh 2025 : विश्व के सबसे बड़े, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम ‘महाकुंभ 2025’ की शुरुआत तीर्थराज प्रयागराज हो गई है। इस मौके पर धर्म और आस्था की नगरी प्रयागराज में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है। सुबह 9.30 बजे तक 60 लाख श्रद्धालुओं ने मां गंगा में डुबकी लगा ली है। वहीं, दिव्य- अद्भुत और अलौकिक महाकुंभ में पहुंचे विदेशी पर्यटक भी गदगद नजर आए। विदेशी मेहमानों ने खुद को भाग्यशाली बताया।

Mahakumbh 2025 : पोलैंड से आए श्रद्धालु ने कहा-

पोलैंड से आईं श्रद्धालु क्लॉडिया ने कहा कि मैं यहां आकर बहुत खुश हूं। मुझे ऐसा कभी महसूस नहीं हुआ था। कभी नहीं सोचा था कि जीवन में कभी ऐसा अनुभव मिलेगा। कल मैं भी स्नान करूंगी। महाकुंभ के लिहाज से कल का दिन बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है। हालांकि, आज इसकी औपचारिक शुरुआत हो गई है, लेकिन कल शाही स्नान का दिन है और मैं बहुत उत्साहित हूं।

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उन्होंने आगे कहा कि मुझे यहां के लोग बहुत अच्छे लगे। सभी का व्यवहार बहुत मिलनसार है। यहां का माहौल ही अद्भुत है, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। मैं दो महीने से भारत में हूं और मुझे इस दिन का बेसब्री से इंतजार था। आखिरकार यह दिन आ ही गया। मुझे यहां बहुत कुछ सीखने को मिला है। हालांकि, शुरुआती दिनों में मेरे लिए इन सभी रीति-रिवाजों का पालन करना बहुत जटिल था। लेकिन, अब मैं धीरे-धीरे सभी चीजें सीख रही हूं और आगे भी सीखती रहूंगी। यह अनुभव मेरे लिए अद्भुत रहा है।

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जापान से आए श्रद्धालु ने क्या कुछ कहा-

जापान से महाकुंभ मेले में आए श्रद्धालु मसाजी ने भी अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा कि मैं दूसरी बार महाकुंभ मेले में आया हूं और मुझे यहां आकर बहुत खुशी हो रही है, जिसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता। यहां का माहौल मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। मैं यहां सिर्फ दो दिन के लिए आया हूं, जिसके बाद मैं वापस जापान चला जाऊंगा। महाकुंभ मेला बहुत महत्वपूर्ण है। मैं हिंदू नहीं हूं। इसके बावजूद यह मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मुझे यहां आकर खुशी हो रही है। जापान से आए एक अन्य श्रद्धालु मिसाकी ने भी माना कि उन्हें शांति का अहसास हो रहा है।

ऑस्ट्रेलियाई श्रद्धालु ने बताया अद्भूत अनुभव

ऑस्ट्रेलिया से आईं श्रद्धालु मंजरिका ने बताया कि मैं पिछले 40 दिनों से भारत में हूं। जब मैं भारत आया था, तभी मैंने तय कर लिया था कि मैं किसी भी कीमत पर महाकुंभ मेले में जरूर जाऊंगा, क्योंकि यह अपने आप में एक अद्भुत अनुभव था। ऐसा अनुभव रोज-रोज नहीं मिलता। मैं स्नान करूंगा। इस तरह का अनुभव देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं पेशे से योग शिक्षक हूं।

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