Mahakumbh 2025, प्रयागराज: महाकुंभ से पहले धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण योगी सरकार की प्राथमिकता है। इसको लेकर योगी सरकार ने भारद्वाज मुनि के आश्रम के पुनर्निर्माण के लिए 13 करोड़ रुपये का बजट रखा है। यहां 85 फीसदी काम पूरा हो चुका है। महाकुंभ आयोजन शुरू होने से पहले सभी काम पूरे करने के निर्देश दिए गए हैं।
अधिकारियों के मुताबिक प्रयागराज में भारद्वाज मुनि का आश्रम महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र बन रहा है। यहीं पर दुनिया में पहली बार विमान उड़ाने की तकनीक खोजी गई थी। पौराणिक मान्यता के अनुसार भारद्वाज मुनि ने यहीं पर विमान उड़ाने की 500 तरह की विधियों का आविष्कार किया था। भारद्वाज मुनि सूर्य की किरणों से चलने वाले विमान की तकनीक खोजने वाले पहले ऋषि हैं।
Mahakumbh 2025: तेजी से चल रहा र्निर्माण कार्य
महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक भारद्वाज मुनि के आश्रम के पुनर्निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है। मंदिर के गलियारे को अंतिम रूप देने के लिए दिन-रात काम चल रहा है। निर्माण कार्य जल्द से जल्द पूरा करने के लिए कई राज्यों से मजदूर यहां लगाए गए हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्राचीन भारतीय विमान निर्माण कला पर आधारित महान वैज्ञानिक महर्षि भारद्वाज के आश्रम का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। यहां दीवारों पर भित्ति चित्र बनाए जा रहे हैं, जिनमें भारद्वाज ऋषि से जुड़ी कहानियां, भगवान राम के वन गमन के चित्र, जंगली जानवरों के चित्र शामिल हैं।
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बड़ी संख्या में जुटेंगे श्रद्धालु
इसके अलावा छाया में बैठने के लिए बेंच, पर्याप्त मात्रा में कूड़ेदान, मार्ग प्रकाश के लिए लैंप, मुख्य द्वार का निर्माण, पार्किंग स्थल आदि बनाए जा रहे हैं। संगम नगरी में महर्षि भारद्वाज का आश्रम सदियों से सनातन संस्कृति का वाहक रहा है। प्रयागराज को तीर्थराज कहा गया है। यहां पौराणिक मान्यता है कि भारद्वाज मुनि प्रयागराज के पहले निवासी ऋषि थे। सप्तऋषि परिवार में भारद्वाज ऋषि का नाम सबसे अधिक आदर के साथ लिया जाता है।
मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत के अनुसार भारद्वाज आश्रम की देश-दुनिया में काफी मान्यता है। इसी के चलते दक्षिण भारत से काफी लोग प्रयागराज आते हैं। आश्रम कॉरिडोर बनने के बाद यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटेंगे। मान्यता है कि वन जाने से पहले भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण भारद्वाज मुनि के आश्रम में रुके थे। इसी आश्रम से ऋषि ने उन्हें चित्रकूट जाने की सलाह दी थी। कहा जाता है कि लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान श्रीराम ऋषि से मिलने उनके आश्रम लौटे थे।