लखनऊः देश की राजधानी दिल्ली में हुए जलभराव से पैदा हुई भयावह स्थिति देखने के बाद भी लखनऊ नगर निगम सबक लेने को तैयार नही हैं। मानसूनी बारिश (monsoon rains) में भी लखनऊ शहर का भी हाल दिल्ली जैसा होने की पूरी संभावना नजर आ रही है, क्योंकि जलजमाव या बाढ़ जैसी स्थिति होने पर जलनिकासी के प्रबंध रामभरोसे ही हैं। नाले और नालियों में पसरा कूड़ा और अतिक्रमण निगम की पोल खोलने के लिए काफी है। कहा जा रहा है कि इसको लेकर नगर विकास मंत्री से लेकर महापौर भी बेहद गंभीर हैं और समस्या के स्थाई निदान के लिए अभियान भी चलाए जा रहे हैं, लेकिन धरातल पर उस कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है।
बारिश का मौसम आते ही सहम जाते है शहर के लोग
बारिश का मौसम (monsoon rains) आते ही हर साल राजधानी लखनऊ के कई इलाकों के लोग सहम जाते हैं। जगह-जगह पर पानी भर जाता है। नाली और नाले उफान मारने लगते हैं। बस्तियों में पानी ही पानी दिखने लगता है। इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि तमाम मोहल्लों में कुछ घर ऐसे भी हैं, जिनमें पानी भर जाता है। नाले और नालियों से उफनाए गंदे पानी में लोगों के घरों के सामान तैरने लगते हैं। नगर निगम हर साल इस परेशानी से निपटने के लिए कोशिशें तों करता है, लेकिन नतीजा सिफर रहता है। इन दिनों फिर निगम ने अतिक्रमण और नाला-नाली सफाई का अभियान चला रखा है।
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तमाम बड़े अधिकारी बस्तियों में मुआयना कर रहे हैं। नगर विकास मंत्री एके शर्मा, महापौर सुषमा खर्कवाल और नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह भी काफी सक्रिय हैं। निगम के दफ्तर तथा नगर विकास मंत्री कार्यालय तक वार्डों से आने वाली जलभराव की शिकायतों के कारण एक टीम बनाकर सच्चाई को परखा जा रहा है। पिछली बारिश की तरह इस बार भी शहर के नाले तथा नालियों की सफाई के आदेश दिए गए है। कुछ वार्डां में पार्षदों ने भी ऐसी मांग की थी। सरोजनीनगर द्वितीय वार्ड में राम नरेश रावत ने मांग की थी कि यदि क्षेत्र में जलभराव की वास्तविकता जानने के बाद भी जमीन पर काम नहीं हुआ, तो गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
नगर निगम के पास जलभराव से निपटने के इंतजाम नहीं
इनकी आवाज उठने पर अपर नगर आयुक्त अवनींद्र कुमार, चीफ इंजीनियर महेश वर्मा तथा जोनल अधिकारी को इस क्षेत्र का दौरा करना पड़ा। समस्या यह है कि हर साल शहर में जलभराव होता है। जो पानी बारिश का होता है, उसे निकाल पाना मुश्किल रहता है। यदि ज्यादा बारिश हुई या किसी कारण से गोमती नदी में बाढ़ आ जाए तो प्रशासन और नगर निगम के पास शहर में जलभराव से निपटने के इंतजाम नहीं हैं। इसमें संदेह नहीं कि कुछ पुरानी बस्तियों में नालियां साफ हो रही हैं, लेकिन नालों की गाद और अतिक्रमण के मसले पर भी निगम के अधिकारी मौन रहते हैं।
कागजों में काम चल रहा है, जबकि हैदर कैनाल और बिजलीपासी किला स्थित नाले की सफाई को लेकर संग्राम छिड़ा रहता है। ऐसी ही समस्या चिल्लावां क्षेत्र की भी है। इसके अलावा नए इलाकों में अधिकतर गांव ऐसे हैं, जहां पर पानी निकासी की व्यवस्था है ही नहीं। बताया जाता है कि अभियंत्रण विभाग को नाले की साफ सफाई कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं। यह बात किसी से छिपी नहीं हैं कि अधिकारियों की मनमानी के कारण ही बस्तियों में जलभराव की समस्या उत्पन्न हो रही है। सीधी सी बात यह है कि क्षेत्रों में जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिए नाला निर्माण कराए ही नहीं गए तो पानी जाएगा कहां ? जो हैं भी, उनकी गहराई पहले से काफी कम हो चुकी है। इनमें कचरा जमा हैं।
बड़े नालों की नहीं हो पा रही सफाई
सवाल यह है कि जब छोटे व बड़े पुराने नालों की नियमित साफ-सफाई नहीं हो पा रही है, तो नए नालों के निर्माण पर संशय बना है। सूत्र बताते हैं कि अब नगर अभियंता को नए नाला निर्माण के लिए कहा गया है। इसमें कितनी सच्चाई है, यह तो वक्त ही बताएगा। पूर्व महापौर संयुक्ता भाटिया अक्सर बजट न होने की बात कहती रहीं। वर्तमान में भी घरों से हाउस टैक्स लेने के दरों में बढ़ोत्तरी की चर्चाएं हैं। इसके लिए नए इलाकों में भी दस्तावेज बनने लगे है। उधर अवध विहार कॉलोनी में प्रस्तावित पार्क की भूमि पर जलभराव है। समस्या यह है कि यह क्षेत्र नगर निगम में कई सालों पहले शामिल किया गया था, लेकिन अभी तक यहां बदालीखेड़ा नाले से कनेक्टिविटी नहीं बनाई गई है। हमेशा की तरह ही इस बार भी क्षेत्र में नया नाला बनाए जाने के लिए आगणन तैयार किए जाने के निर्देश नगर अभियंता को दिए गए हैं। जलभराव में एक और परेशानी आ रही है।
कई मोहल्लों में पानी जमा है
वह यह है कि जो लोग सफाई कार्य में लगाए गए हैं, उनमें कुछ का वेतन रूका हुआ है, इसलिए वह पूरे मन से काम नहीं कर रहे हैं। नगर विकास मंत्री, महापौर व नगर आयुक्त तक ऐसी जानकारियां पहुंच चुकी हैं। यद्यपि सफाई का काफी काम कुछ एजेंसियां भी करती हैं, लेकिन जिम्मेदारी का ठीकरा निगम पर ही फूटता है इसलिए ऊपर से यह निर्देश मिले हैं कि क्षेत्रों में पमिंपग स्टेशन पर डीजल की पर्याप्त व्यवस्था एवं कर्मचारियों के वेतन का भुगतान बिना किसी रुकावट के समय पर किया जाए। खबर तो यह भी है कि कुछ मोहल्लों में पानी जमा है और यहां से इसे निकालने के लिए जेसीबी भी तैयार है, लेकिन पानी निकलने के लिए नाला, तालाब, नदी या नहर क्षेत्र में नहीं है।
(रिपोर्ट- शरद त्रिपाठी, लखनऊ)
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