Thursday, December 19, 2024
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इनसे सीखें ! दुर्घटना में गंवाए दोनों हाथ, लेकिन नहीं मानी हार, जीते 150 पदक

जयपुरः यह एक ऐसे शख्स की प्रेरणादायक कहानी है, जिसने दो अलग-अलग दुर्घटनाओं में अपने दोनों हाथ खो दिए, लेकिन विपरित परिस्थितियों में हौसला खोने के बजाय उसने राष्ट्रीय स्तर पर तैराकी में नाम कमाया है। दोनों हाथ खोने के बाद भी उन्होंने कड़ी मेहनत जारी रखी और तैराकी में कई बार विजेता बने। अब उसकी नजर 2022 में हांग्जो में आयोजित होने वाली एशियाई चैम्पियनशिप पर बनी हुई है।

पिंटू गहलोत नामक इस तैराक ने तमाम बाधाओं के बीच पानी में अपने शरीर को संतुलित करने का अभ्यास किया, अब तक वह विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में 150 से अधिक पदक जीत चुके हैं। वह अपनी अकादमी में अब युवा छात्रों को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं, जिन्होंने विभिन्न टूर्नामेंटों में 100 से अधिक पदक जीते हैं।

वह अब 2022 में हांग्जो में आयोजित होने वाली एशियाई चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। राजस्थान में जोधपुर के चोखा गांव के निवासी पिंटू गहलोत 1998 में एक दुर्घटना के दौरान एक हाथ खो बैठा थे, जब वह कक्षा सातवीं के छात्र थे। उन्होंने एक बस दुर्घटना में अपना दायां हाथ गंवा दिया। हालांकि इसके बाद उन्होंने अपने बाएं हाथ के साथ अपनी सफलता की कहानी लिखने की कोशिश की।

दृढ़निश्चय के साथ उन्होंने स्विमिंग पूल में तैराकी का अभ्यास शुरू किया और अथक प्रयासों के बाद न केवल खुद को प्रशिक्षित किया, बल्कि खुद के लिए एक खास पहचान भी बनाई। सात साल की कड़ी मेहनत के बाद, उन्होंने जोधपुर में आयोजित राज्य पैरा चैम्पियनशिप जीती। उन्होंने 100 मीटर बैकस्ट्रोक में स्वर्ण पदक और 50 मीटर फ्रीस्टाइल टूर्नामेंट में रजत पदक जीता और इसके बाद से उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

हालांकि पिंटू के जीवन में एक और क्रूर घटना घटी, जब उसने 2019 में एक स्विमिंग पूल की सफाई के दौरान अपना दूसरा हाथ खो दिया। दरअसल, स्विमिंग पूल में एक लोहे का पाइप था, जहां पिंटू सफाई कर रहे थे। उस लोहे के पाइप में विद्युत प्रवाह (करंट) था, जिसकी चपेट में पिंटू आ गए। इस दौरान पिंटू का हाथ इतनी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया और उसे काटना पड़ा।

उनके पिता ओमप्रकाश गहलोत भी 2019 की दुर्घटना में अपना एक हाथ खो बैठे थे। अपना दूसरा हाथ खोने के बावजूद पिंटू निराश नहीं हुए और उन्होंने अपने जोश एवं जुनून को कायम रखा और तैराकी जारी रखी। वह इस समय राजस्थान पैरा तैराकी टीम से कोच के रूप में जुड़े हैं और कई युवा प्रतिभाओं को प्रशिक्षित कर रहे हैं। उन्होंने एक तैराकी केंद्र शुरू किया है, जहां वह शारीरिक रूप से दिव्यांग लोगों को मुफ्त में प्रशिक्षण दे रहे हैं। उनके कई छात्र भी विभिन्न टूर्नामेंटों में 100 से अधिक पदक प्राप्त कर चुके हैं।

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पिंटू का कहना है कि उसका अंतिम उद्देश्य पैरा ओलंपिक में भाग लेकर उस मंच पर अपनी पहचान बनाना है। उन्होंने कहा कि वह विश्व स्तर के टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश में जुटे हैं। उन्होंने हाल ही में इस साल मार्च में बेंगलुरु में आयोजित पैरा नेशनल स्विमिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था और अब वह एशियाई चैम्पियनशिप के लिए भारत और विदेशों में अपने प्रशिक्षण के लिए लगभग 12 लाख रुपये इकट्ठा करने के प्रयासों में व्यस्त हैं।

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