श्रीकृष्ण की नगरी के ‘कोतवाल’ हैं भगवान महादेव, चारों दिशाओं में अलग-अलग स्वरूपों में हैं विराजमान

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Kotwal-of-Braj

मथुराः श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में रंगेश्वर महादेव, भूतेश्वर महादेव, पीपलेश्वर और गोकर्णनाथ महादेव नाम से चार प्रमुख शिवालय हैं, जिन्हें ब्रज का कोतवाल कहा जाता है। ये शिव मंदिर मथुरा की चारों दिशाओं में स्थित हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर 18 फरवरी को इन सभी मंदिरों में जलाभिषेक करने के लिए शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ेगी। रंगेश्वर महादेव मंदिर जिला अस्पताल के सामने स्थित है। मंदिर के पुजारी राजेशनाथ गोस्वामी ने बताया कि मामा कंस का वध करने के बाद श्रीकृष्ण और बलराम दोनों भाइयों में इस बात पर विवाद हो गया कि उसे किसने मारा है? दोनों खुद को श्रेष्ठ सिद्ध करने में लगे थे। तभी यह कहते हुए भगवान शिव प्रकट हुए कि रंग है-रंग है, तुम दोनों भाइयों का रंग है। इस पर दोनों में सुलह हो गई। तभी से इस स्थान पर भगवान शिव रंगेश्वर महादेव के रूप में पूजे जाने लगे।

महाशिवरात्रि पर यहां श्रद्धालुओं का सैलाब सुबह चार बजे से ही उमड़ना शुरू हो जाता है, जो दोपहर तक निरंतर चलता रहता है। यहां हर कोई शिव भक्त रंगेश्वर बाबा का जलाभिषेक करने को आतुर नजर आता है। शहर के आकाशवाणी के समीप स्थित गोकर्णनाथ महादेव का वर्णन भगवत गीता में भी मिलता है। गोकर्णेश्वर महादेव के सेवायत मन्नू पंडित ने बताया कि मंदिर में जो व्यक्ति लगातार 40 दिन भगवान को शिव स्त्रोत का पाठ और गन्ने के रस से अभिषेक करता है। बीमारियां उसके पास नहीं आती। मान्यता है कि गोकर्णेश्वर महादेव की पूजा करने से धनलक्ष्मी हमेशा उसके यहां वास करती है। व्यापार में उन्नति होती है। बाधाएं भक्त से कोसों दूर रहती है।

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भूतेश्वर महादेव मंदिर में ऐतिहासिक शिवलिंग एवं पाताल देवी के विग्रह हैं। भूतेश्वर महादेव का शिवलिंग नाग शासकों द्वारा स्थापित किया गया। भूतेश्वर महादेव मथुरा के रक्षक सुप्रसिद्ध चार महादेवों में पश्चिम दिशा के क्षेत्रपाल और शहर कोतवाल माने जाते हैं। भूतेश्वर महादेव मंदिर में हर सोमवार को सुबह से ही जलाभिषेक के लिए भक्तों की कतार लग जाती है। शिवरात्रि पर्व पर पूरे दिन भक्तों की भीड़ नजर आती है। पीपलेश्वर महादेव यमुना नदी के प्रयाग घाट के निकट स्थित है। सेवायत नंदलाल चतुर्वेदी ने बताया कि इस प्राचीन मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां के महादेव प्रेतों पर नियंत्रण रखते हैं। इस मंदिर के निकट ही यमुना जी कलकल बहती हैं। यहां के दर्शन करने से सभी कष्टों का समापन हो जाता है। पिपलेश्वर महादेव का नमन करने से शनि की बाधा दूर होती है।

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