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Lok Sabha Elections 2024: बीजेपी के सामने अमरोहा जीतने की चुनौती

Lok Sabha Elections 2024 Challenge BJP

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 26 अप्रैल को जिन आठ सीटों पर मतदान होगा उनमें अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा शामिल हैं। पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अमरोहा के अलावा सात सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार बीजेपी ने अमरोहा जीतने के लिए खास रणनीति बनाई है। बता दें, 2019 के आम चुनाव में बीएसपी-एसपी-आरएलडी का गठबंधन था। 2024 के आम चुनाव के लिए बीजेपी-आरएलडी एनडीए में हैं। भारतीय गठबंधन में कांग्रेस-सपा शामिल हैं और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अकेले मैदान में है।

 इस बार अकेले मैदान में बीजेपी

 2019 के चुनाव में बीजेपी अमरोहा सीट हार गई थी। यहां से बीएसपी के कुंवर दानिश अली ने 601,082 (51.39%) वोट पाकर जीत हासिल की। भाजपा उम्मीदवार कंवर सिंह तंवर 537,834 (45.98%) के साथ दूसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस की हिस्सेदारी 12,454 (1.07%) थी। इस चुनाव में विपक्षी दलों एसपी-बीएसपी-आरएलडी और कांग्रेस का कुल वोट प्रतिशत 52.46 यानी बीजेपी उम्मीदवार से 6.8 ज्यादा था।

2014 के चुनाव में यहां बीजेपी के कंवर सिंह तंवर ने जीत हासिल की थी। तंवर के खाते में 528,880 (48.26%) वोट थे। दूसरे और तीसरे नंबर पर रहीं सपा और बसपा को क्रमश: 370666 (33.82%) और 162983 (14.87%) वोट मिले थे। चौथे स्थान पर कांग्रेस-आरएलडी के संयुक्त उम्मीदवार राकेश टिकैत सिर्फ 9539 (0.87%) वोट हासिल कर पाए। चारों पार्टियों एसपी-बीएसपी-कांग्रेस-आरएलडी का वोट प्रतिशत 49.56 यानी बीजेपी से 1.3 फीसदी ज्यादा था। इस चुनाव में कांग्रेस-आरएलडी का गठबंधन था। बीजेपी मैदान में अकेली थी।

2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी-आरएलडी का गठबंधन था। इस सीट से रालोद-भाजपा के संयुक्त प्रत्याशी देवेन्द्र नागपाल ने जीत हासिल की थी। नागपाल को 283182 (40.09%) वोट मिले। एसपी, बीएसपी और कांग्रेस उम्मीदवारों को क्रमश: 191099 (27.05%), 170396 (24.12%) और 16878 (2.39%) वोट मिले।

बीजेपी का जनाधार लगातार रहा बरकरार

पिछले तीन चुनावों के आंकड़ों से एक बात तो साफ है कि बीजेपी यहां बिना किसी गठबंधन के चुनाव जीत सकती है, वहीं उसने अपना वोट प्रतिशत भी लगातार बरकरार रखा है। अगर सभी प्रमुख विपक्षी दल मिलकर भी जीत जाएं तो भी वोटों का अंतर बहुत बड़ा नहीं होगा। यहां बीजेपी-आरएलडी गठबंधन मजबूत साबित हुआ है। इससे दोनों पार्टियों को फायदा मिलता है। इस बार बीजेपी-आरएलडी गठबंधन में हैं। जिससे एनडीए की ताकत बढ़ी है।

कांग्रेस की बात करें तो 1984 के आम चुनाव में यहां से कांग्रेस उम्मीदवार राम पाल सिंह ने जीत हासिल की थी। पिछले 40 सालों से यहां कांग्रेस के लिए जीत का सूखा रहा है। 16 चुनावों में इस सीट पर बसपा ने दो बार 1999 और 2019 में जीत हासिल की है। 2019 में बसपा को एसपी-आरएलडी गठबंधन का फायदा मिला। सपा यहां आखिरी बार 1996 के आम चुनाव में जीती थी। इस सीट पर बीजेपी ने कुल तीन बार 1991, 1998 और 2014 में जीत हासिल की है।

2024 के चुनाव के लिए बीजेपी ने पिछली बार हारे कंवर सिंह तंवर पर फिर भरोसा जताया है। बसपा ने मौजूदा सांसद दानिश अली का टिकट काटकर डॉ. मुजाहिद हुसैन उर्फ बाबू भाई को मैदान में उतारा है। यहां सपा-कांग्रेस का गठबंधन है और यह सीट कांग्रेस के खाते में है। कांग्रेस ने बसपा से निकाले गए कुंवर दानिश अली को मैदान में उतारा है।

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19 अप्रैल को पीएम नरेंद्र मोदी ने अमरोहा में रैली कर दिखा दिया कि बीजेपी अमरोहा जीतने को लेकर कितनी गंभीर है। जगदीश सरन हिंदू पीजी कॉलेज, अमरोहा के प्राचार्य डॉ. ए.के. रस्तोगी के मुताबिक, अगर कांग्रेस और बीएसपी मुस्लिम उम्मीदवार उतारती हैं तो मुस्लिम वोटों का बंटवारा होना तय है। मुस्लिम वोटों में बंटवारे का फायदा बीजेपी को मिलेगा। इस बार भाजपा अच्छे अंतर से अमरोहा सीट जीतेगी।

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