Sunday, November 24, 2024
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भारत में EV इंडस्ट्री की हैं अपार संभावनाएं, रांची में मिले बेशकीमती खनिज ने खींचा निवेशकों का ध्यान

EV Industry Prospects Ranchi Huge Reserves of Precious Mineral Lithium

Jharkhand Lithium: झारखंड के कोडरमा और गिरिडीह की धरती से निकलने वाले अभ्रक की चमक पूरी दुनिया तक पहुंचती थी। अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में अभ्रक की न तो मांग बची है और न ही इसकी खदानें बची हैं। लेकिन इसी धरती के भीतर खोजे गए बहुमूल्य खनिज लिथियम के बड़े भंडार ने देश में बैटरी आधारित इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए अपार संभावनाएं पैदा कर दी हैं।

लिथियम के अलावा भी हैं कई दुर्लभ खनिज

नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट (एनएमईटी) ने भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण में पाया है कि कोडरमा और गिरिडीह में लिथियम के अलावा कई दुर्लभ खनिजों के बड़े भंडार हैं। आने वाले वर्षों में पूरी दुनिया में जिस शून्य कार्बन हरित ऊर्जा के लक्ष्य पर काम किया जा रहा है, उसमें लिथियम को गेमचेंजर खनिज के रूप में देखा जा रहा है। इलेक्ट्रिक वाहनों के अलावा, लिथियम का उपयोग चिकित्सा प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग, मोबाइल फोन, सौर पैनल, पवन टरबाइन और अन्य नवीकरणीय प्रौद्योगिकियों में किया जाता है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने हाल ही में कर्नाटक में 1600 टन लिथियम के भंडार की खोज की थी और उसके बाद जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में 59 लाख टन लिथियम के भंडार की खोज की थी। अब झारखंड के कोडरमा, गिरिडीह के अलावा पूर्वी सिंहभूम और हजारीबाग में भी इस कीमती धातु की खुदाई की संभावनाओं पर काम चल रहा है।

अभी चीन से होता है Lithium का आयात

Jharkhand के कोडरमा जिले के तिलैया ब्लॉक और उसके आसपास भू-रासायनिक मानचित्रण से यहां उपलब्ध लिथियम, सीज़ियम और अन्य तत्वों की उच्च सांद्रता का पता चला है। वर्तमान में, देश का इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग अभी भी अपनी लिथियम आवश्यकताओं के लिए पूरी तरह से आयात पर निर्भर है। फिलहाल हम लिथियम का आयात मुख्य रूप से चीन से करते हैं। भारत सरकार ने 2030 तक ईवी अपनाने को 30 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लिथियम सबसे आवश्यक धातु है। इसलिए, लिथियम की खोज की संभावनाओं पर सरकार का विशेष ध्यान है। ऐसे में कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर के बाद झारखंड में लिथियम भंडार की खोज को भविष्य के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है। जीएसआई के सर्वे के मुताबिक झारखंड के कोडरमा के तिलैया ब्लॉक और धोड़ाकोला-कुसुमा बेल्ट में लिथियम के अलावा गिरिडीह के गांवा ब्लॉक और पिहरा बेल्ट में ली (Li), सीज़ियम, REE और RM जैसी धातुओं के भंडार होने की संभावना है।

भविष्य में कम होंगी EV की कीमतें!  

29 सितंबर को झारखंड सरकार की भूवैज्ञानिक परिषद की उच्च स्तरीय बैठक में राज्य में लिथियम की खोज के नतीजों पर चर्चा हुई। सरकार ने राज्य में लिथियम खनन की संभावनाओं पर काम करना शुरू कर दिया है। निवेशकों ने भी इसमें अपनी रुचि दिखाई है। पिछले जून में पैन एशिया मेटल्स लिमिटेड के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक पॉल लॉक ने सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात कर झारखंड में लिथियम खनन के क्षेत्र में निवेश की संभावनाओं पर चर्चा की थी। सीएम ने कहा था कि झारखंड सरकार नियमानुसार लिथियम उत्पादन की संभावनाओं पर योजनाबद्ध तरीके से काम करेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर भारत लिथियम उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाता है, तो इलेक्ट्रिक बैटरियां सस्ती हो जाएंगी और अंततः इलेक्ट्रिक कारों की कीमत भी कम हो जाएगी।

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