Lal Bahadur Shastri Jayanti 2023: अपनी सादगी के लिए पहचाने जाने वाले लाल बहादुर शास्त्री की आज यानी 2 अक्टूबर को जयंती (Lal Bahadur Shastri Jayanti) है।
उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर 1904 को जन्मे लाल बहादुर शास्त्री के बचपन का नाम ‘नन्हें’ था। केवल डेढ़ साल की उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ गया था और उन्हें उनके चाचा के साथ रहने के लिए भेज दिया गया था, ताकि उन्हें बेहतर शिक्षा मिल सके। उन्हें विद्यालय जाने के लिए कई मीलों तक पैदल ही चलना पड़ता था।
आजादी के लिए छोड़ी पढ़ाई
लाल बहादुर शास्त्री दृढ़ निश्चयी थे। वह केवल 11 वर्ष के थे, तभी से उनके मन में देश के लिए कुछ करने की भावना हिलोरें मारने लगी थीं। वे आजादी की लड़ाई में अधिक रुचि लेने लगे थे। उस समय उनकी उम्र महज 16 साल थी, जब महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए उन्होंने पढ़ाई छोड़ने का निर्णय लिया।
रेल हादसे के बाद दिया था इस्तीफा
देश की आजादी के बाद जब कांग्रेस सत्ता में आई तब लाल बहादुर शास्त्री को उत्तर प्रदेश का संसदीय सचिव नियुक्त किया गया। इसके बाद वह गृह मंत्री के पद पर भी आसीन हुए। साल 1951 में वे दिल्ली आ गए और उन्होंने रेल मंत्रालय, परिवहन एवं संचार मंत्रालय, वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय जैसे कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। इसी दौरान एक रेल हादसा हो गया, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे की जिम्मेदारी उन्होंने खुद लेते हुए रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने उनके इस पहल व उनके आदर्शों की सराहना की थी।
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आज भी रहस्य है लाल बहादुर शास्त्री का निधन
देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का निधन आज भी एक रहस्य बना हुआ है। उनका निधन 11 जनवरी 1966 में उत्बेकिस्तान के ताशकंद में हुआ था। भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद हालातों पर समझौता करने वे पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान से मिलने गए थे। कहा जाता है कि इस मुलाकात के बाद अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और कुछ घंटे बाद उनका निधन हो गया। हालांकि उनकी मौत का कारण हार्ट अटैक बताया गया था, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उनके शरीर पर घाव के निशान थे। लाल बहादुर शास्त्री की मौत की जांच के लिए राज नारायण समिति का गठन किया गया था, लेकिन यह समिति भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी थी।
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