Varanasi News: श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर मंगलवार को तड़के श्री काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ के मंगला आरती में भगवान लड्डू गोपाल भी विराजे। पहली बार लड्डू गोपाल और बाबा विश्वनाथ का एक साथ दर्शन पाकर भक्तों में खुशी की लहर देखी गई। वहीं दरबार में कुछ श्रद्धालुओं ने ऑनलाइन दर्शन भी किया। वहीं इसके पहले दरबार में आधी रात को लड्डू गोपाल का जन्म हुआ तो पूरे परिसर में जय कन्हैया लाल के साथ हर-हर महादेव के जोरदार नारे भी लगे। साथ ही मंदिर परिसर में शंख वादन, घंटा, घड़ियाल, डमरू की निनाद और वैदिक मंत्रों की गूंज उठी।
इसके बाद भगवान लड्डू गोपाल को निकट स्थित सत्यनारायण मंदिर में रात्रि विश्राम कराया गया। फिर मंदिर से लेकर लड्डू गोपाल को बाबा विश्वनाथ की मंगला आरती में विराजमान कराया गया। इसके बाद मंदिर का पट खुलते ही दर्शन पूजन शुरू किया गया।
Varanasi News : पहली बार गर्भग्रह में पधारे लड्डू गोपाल
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र के अनुसार पहली बार मंदिर के गर्भगृह में भगवान लड्डू गोपाल बाल रूप में पधारे हैं। जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि, रात के 12 बजे जन्म के करीब ढाई घंटे बाद मंदिर के गर्भगृह में लड्डू गोपाल को विराजमान किया गया था। इस नयनाभिराम दृष्य के दर्शन-पूजन के लिए दुनिया भर में लाइव प्रसारण किया गया। महादेव के सौम्य, सुंदर, कल्याणकारी श्री विश्वनाथ स्वरूप की मंगलकारी मंगला आरती, आराधना में लड्डू गोपाल श्री विश्वेश्वर के साथ विराजे। यह संपूर्ण मनोहारी सनातन परंपरा शिवभक्तों को आह्लादित करती रही।
भागवत पुराण में भगवान श्रीकृष्ण और महादेव के संबंधों का उल्लेख
गौरतलब है कि, भगवान श्रीकृष्ण और महादेव के बीच आपसी संबंध का वर्णन भागवत पुराण में भी उल्लेख है। इस संबंध में ब्रजक्षेत्र में एक कथा है कि जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ तो महादेव उनको देखने कैलाश से आए, यशोदा मैया ने जब महादेव का रूप देखा जो नाग लिपटे हुए हैं, भस्म लिपटी हुई है और बाघंबर में हैं। उनके माथे पर चंद्रमा विराजमान है और सिर से गंगाजी निकल रही हैं।
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ये देखकर मां यशोदा ने कहा कि, लल्ला को देखना है तो पानी में छाया देखनी होगी। लल्ला आपको देखेगा तो डर जाएगा। भगवान कृष्ण को उन्होंने नीचे पानी के थाल में दिखाया। उस थाल में महादेव ने कृष्ण भगवान का बालरूप देखा। कथा प्रसंग में महादेव के मस्तक पर जो चंद्रमा विराजमान रहते हैं उनकी छवि पानी में जब पड़ी। तो चंद्रमा चमकने लगे। यह देख भगवान लड्डू गोपाल मां से कहते हैं कि, मुझे तो यही खिलौना चाहिए।