Kukrail river issue, लखनऊः कुकरैल नदी की जमीन पर अतिक्रमण को लेकर लगातार कार्रवाई चल रही है। इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार सुबह लखनऊ विकास प्राधिकरण और सिंचाई विभाग के अधिकारियों से इसकी जानकारी ली। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए एहतियात बरतने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री और अधिकारियों के बीच हुई वार्ता के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से एक ट्वीट किया गया, जिसमें कुकरैल नदी के 35 मीटर तक अतिक्रमण हटाने के आदेश थे, लेकिन बाद में इस ट्वीट को डिलीट कर दिया गया।
आपको बता दें कि लखनऊ में कुकरैल नदी की जमीन खाली कराने के अभियान में पहले अकबरनगर और अब अबरार नगर, रहीम नगर, पंतनगर, खुर्रम नगर के करीब 800 घरों को चिन्हित कर लाल निशान लगा दिए गए हैं।
मकानों को किया जा रहा चिन्हित
दरअसल, लखनऊ में कुकरैल नाले के किनारे मकानों को चिन्हित किया जा रहा है। कुकरैल नाले के पचास मीटर के दायरे में बने मकानों को अवैध घोषित किया जा रहा है। जल्द ही सिंचाई विभाग, नगर निगम और जिला प्रशासन की टीम इन मकानों पर बुलडोजर चला सकती है। लखनऊ का अकबरनगर अब इतिहास बन चुका है। वहां की जमीन समतल हो चुकी है। माना जा रहा है कि अब पंतनगर और रहीमनगर की बारी है। लखनऊ में विकास परियोजना के लिए प्रशासन मकानों को अवैध घोषित कर उन्हें ध्वस्त करने की तैयारी कर रहा है।
गोमती नदी की सहायक नदी है कुकरैल
मालूम हो कि लखनऊ में ज्यादातर लोग कुकरैल को नाले के तौर पर जानते हैं। लेकिन प्रशासन का कहना है कि कुकरैल गोमती नदी की सहायक नदी है। अब इसके पचास मीटर के दायरे को फ्लड प्लेन जोन घोषित कर इसमें किए गए निर्माण को अवैध घोषित किया जा रहा है। लखनऊ में सबसे पहले अकबरनगर में 1800 मकानों को अवैध घोषित कर ध्वस्त किया गया। अब चार इलाकों में 2000 मकानों के ध्वस्त होने की संभावना है।
अधिकारी बताएं कि मकान अवैध कैसे हैं?
हालांकि सर्वे के बाद मकानों पर सिर्फ लाल निशान लगाए गए हैं। यहां रहने वाले लोग पूछ रहे हैं कि जिस जगह पर वे चार-पांच दशक से रह रहे हैं, जहां सरकार ने विकास कार्य किए हैं, जहां वे वोट देते आए हैं, वह अवैध कैसे हो सकता है? लोगों का कहना है कि वे नगर निगम के हाउस टैक्स की रसीद, पानी का बिल देते हैं। उन्होंने दस्तावेजों का ब्योरा दिया है। अगर दस्तावेज अवैध हैं तो फिर वैध क्या है। यहां 1800 से ज्यादा मकान हैं, सिंचाई विभाग सर्वे कर चुका है और कह रहा है कि ये मकान अवैध हैं।
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आश्वासन के बाद खुशी से झूम उठे
सीएम कार्यालय ने कहा कि कुकरैल नदी के पास मौजूदा 35 मीटर की चौड़ाई पर्याप्त है, इस सीमा के अंदर कोई भी निर्माण प्रभावित नहीं होगा, यानी कोई तोड़फोड़ नहीं होगी। सीएम कार्यालय से आश्वासन मिलने के बाद इलाके के लोग खुशी से झूम उठे।
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