कोलकाताः फिल्म द केरला स्टोरी को राज्य सरकार ने बंगाल में प्रतिबंधित घोषित कर दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस फैसले पर राज्य के बुद्धिजीवियों और कलाकारों ने अलग-अलग विचार व्यक्त किए हैं। तृणमूल के कुछ करीबी लोगों ने कहा है कि फिल्म पर प्रतिबंध लगाना सही नहीं है।
ममता और तृणमूल के करीबी कहे जाने वाले एक्टर शुभप्रसन्ना ने कहा कि इस निर्णय से कोई राजनीतिक लाभ नहीं होने वाला। बल्कि इस पर प्रतिबंध लगाकर फिल्म को ही अहमियत दी गई है। अच्छे-बुरे का निर्णय करने की जिम्मेदारी जनता पर छोड़ देनी चाहिए। जब सेंसर बोर्ड ने रियायतें दी हैं तो प्रदर्शन में रुकावट कहां है? मुझे नहीं पता कि इस फैसले के पीछे कोई राजनीतिक मंशा है या नहीं। हालांकि, मुझे लगता है कि कोई लाभ नहीं होगा।
नाटककार और निर्देशक देवेश ने भी प्रतिबंध को हटाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा लगता है कि किसी फिल्म या नाटक में गलत बात कही गई है तो बदले में कुछ नया करना चाहिए। उस पर प्रतिबंध लगाने का कोई मतलब नहीं है। मैंने जो सुना, फिल्म ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। लोगों ने इसे नहीं माना लेकिन अब बैन को लेकर उत्सुकता और बढ़ जाएगी। बहुत से लोग देखेंगे।
रंगमंच की हस्ती सुमन ने कहा कि मुझे नहीं पता कि यह फिल्म कैसी है, लेकिन मैं किसी भी बैन के साथ नहीं हूं। कवि सुबोध ने भी यही बात कही कि फिल्म देखे बिना कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। हालांकि, तमाम मीडिया रिपोर्ट्स पढ़ने के बाद मुझे एहसास हुआ कि यह आग है। जो लोग आग लगाना चाहते हैं उनकी जलती हुई चिंगारी पर पानी नहीं डाला गया तो खतरा अवश्यंभावी है। उस पानी को डालने का काम राज्य सरकार ने किया था।
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बंगाल की मौजूदा स्थिति को याद करते हुए अभिनेता कौशिक ने कहा कि प्रतिबंध लगाने का राज्य सरकार का फैसला स्वागत योग्य है। इस समय मुझे पश्चिम बंगाल के संदर्भ में यह दुखद नहीं लगता। जब हम इतिहास की बात करते हैं तो हमें यह याद रखना होता है कि हमारा पर्यावरण कितना बदल चुका है। जो मैं पहले नहीं समझता था या मानता था लेकिन अब मैं समझता हूं कि सांप्रदायिकता हममें से कई लोगों के दिमाग में गहराई तक बैठी हुई है।
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