Wednesday, January 8, 2025
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ट्रंप से तल्खी और भारत से पंगा पड़ा महंगा, जस्टिन ट्रूडो की हो गई विदाई

नई दिल्लीः अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से तल्खी और खालिस्तान समर्थकों की खातिर भारत से पंगा लेना कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (justin trudeau) की सत्ता से विदाई का सबसे प्रमुख कारण बनकर सामने आया है। जस्टिन ट्रूडो ने मंगलवार को लिबरल पार्टी के नेता और कनाडा के प्रधानमंत्री दोनों ही पदों से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने लिबरल पार्टी का नया नेता चुनने की अपील भी की है, वह नया प्रधानमंत्री चुने जाने तक पद पर बने रहेंगे। इस घटना के बाद से ही कनाडा में सियासी हलचल तेज हो गयी है। ऐसा माना जा रहा है कि जस्टिन ट्रूडो पर न सिर्फ अमेरिका बल्कि भारत की कूटनीतिक चालों और विपक्षी दलों के नेताओं तथा जनता की नाराजगी के कारण काफी दबाव पड़ रहा था, जिसकी वजह से उन्हें मजबूरन प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा है।

2015 में 44 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बने जस्टिन ट्रूडो अपनी नीतियों और फैसलों के कारण अपने ही देश में लगातार अलोकप्रिय हो रहे थे, जिसके कारण लिबरल पार्टी के भीतर भी उनपर इस्तीफे का दबाव था। इसने ट्रूडो के 9 वर्षों के शासनकाल के अंत का रास्ता साफ कर दिया। कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यहां की सरकार लगातार खालिस्तानी समर्थकों के दबाव में काम कर रही थी, जिसकी वजह से भारत सरकार पर भी कई तरह के गंभीर आरोप लगाये गये। कनाडा और भारत के बीच राजनयिक संबंधों में खटास आ चुकी है। इन दोनों देशों ने अपने-अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया है।

यही नहीं कनाडा में आए दिन होने वाले प्रदर्शनों के कारण शांति व्यवस्था कायम कर पाना भी मुश्किल हो गया है। इसी कड़ी में डोनाल्ड ट्रंप से जस्टिन ट्रूडो की तल्खी ने भी कनाडा में राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ाने का काम किया है। डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद और क्रिसमस की बधाई देते समय जस्टिन ट्रूडो से दो-टूक शब्दों में बोल दिया कि कनाडा को अमेरिका से मिलने वाली आर्थिक सहायता में कटौती कर दी जाएगी। यदि कनाडा को मदद चाहिए तो उसे खुद को अमेरिकी राज्य घोषित करना होगा और ट्रूडो को गवर्नर बनने का ऑफर स्वीकार करना होगा।

यदि ऐसा नहीं हुआ तो अमेरिकी सरकार कनाडा का टैरिफ 25 प्रतिशत तक बढ़ा देगी। इस वजह से कनाडा की राजनीति में भारी ऊथल-पुथल मची हुई है। अब अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने के अपने ऑफर फिर से दोहराया। कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद उनकी यह प्रतिक्रिया आई है। बता दें कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने लिबरल पार्टी के नेता पद और प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, वह लिबरल पार्टी के नए नेता चुने जाने तक प्रधानमंत्री पद पर रहेंगे।

मुश्किल दौर से गुजर रही लिबरल पार्टी

कनाडा में लिबरल पार्टी मुश्किल दौर से गुजर रही है। सर्वे बता रहे हैं कि अक्टूबर के अंत तक होने वाले चुनाव में लिबरल कंजर्वेटिवों से बुरी तरह हार जाएंगे। ऐसे में यह निश्चित है कि ट्रूडो का जाना पार्टी के लिए बड़ी परेशानी खड़ी करेगा। उनके इस्तीफे से जल्द चुनाव की मांग उठने की संभावना है। यही नहीं ट्रूडो की जगह जिन नेताओं के नाम चर्चाओं में हैं, उनमें पूर्व उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड, मार्क कार्नी, कनाडा की विदेश मंत्री मेलनी जोली के नाम शामिल हैं। दूसरी तरफ कनाडा में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच 78 वर्षीय ट्रंप ने ट्रूडो की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद अपने प्रस्ताव को फिर दोहराया। ट्रुथ सोशल पर उन्होंने कहा कि कनाडा में बहुत से लोग 51वें राज्य का हिस्‍सा बनना पसंद करेंगे। संयुक्त राज्य अमेरिका अब उस बड़े व्यापार घाटे और सब्सिडी को सहन नहीं कर सकता है, जिनकी कनाडा को बने रहने के लिए जरूरत है।

जस्टिन ट्रूडो को यह पता था और उन्होंने इस्तीफा दे दिया। अब अगर कनाडा अमेरिका के साथ मिलता है, तो कोई टैरिफ नहीं होगा, टैक्स बहुत कम हो जाएंगे, वह रूसी और चीनी जहाजों के खतरे से भी पूरी तरह सुरक्षित रहेगा जो लगातार उन्हें घेर रहे हैं। अमेरिका के साथ मिलकर यह कितना महान राष्ट्र होगा। इस बात की भी चर्चा हो रही है कि ट्रंप अपनी चुनावी जीत के बाद से ही ट्रूडो पर आक्रामक रहे हैं। वह पहले भी उन्हें कनाडा के महान राज्य का गर्वनर कहकर मजाक उड़ा चुके हैं। कनाडा सरकार ने ट्रंप की टिप्पणियों पर अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया जारी नहीं की है।

हालांकि, अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के बयानों ने तनावपूर्ण यूएस-कनाडा संबंधों के बारे में फिर चर्चाओं को जन्म दिया है। ट्रंप ने ट्रूडो के प्रशासन पर संयुक्त राज्य अमेरिका में अवैध प्रवास और अवैध मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने में विफल रहने का भी आरोप लगाया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह समस्या बनी रही तो वे कनाडा के आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगा देंगे। बता दें ट्रंप ने ऐलान किया है कि वह 20 जनवरी को अपने पदभार ग्रहण करने के पहले दिन ही ऐसे आदेशों पर हस्ताक्षर करेंगे, जिसके तहत मेक्सिको और कनाडा से आने वाले सभी सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा।

justin trudeau के बाद भारत-कनाडा के बीच रिश्तों में सुधार की उम्मीद

जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के साथ भारत-कनाडा के लगातार बदतर हो रहे रिश्तों के भी दोबारा पटरी पर आने की उम्मीदें बढ़ती दिख रही हैं। इस उम्मीद को इस बात से बल मिलता दिख रहा है कि इस साल होने वाले चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोइलिवरे के प्रधानमंत्री बनने की संभावना अधिक है, जो भारत के साथ अच्छे रिश्तों की वकालत करते रहे हैं। वर्ष 2015 में ट्रूडो के प्रधानमंत्री बनने के बाद से कनाडा-भारत संबंधों में लगातार गिरावट आई है। बीच- बीच में खालिस्तान समर्थकों से ट्रूडो की बढ़ती गर्मजोशी, भारत-कनाडा संबंधों के लिए आपदा साबित होती गई। खास तौर पर साल 2018 में ट्रूडो की भारत यात्रा विवादों में तब घिर गई थी, जब एक भारतीय मंत्री की हत्या के प्रयास के दोषी जसपाल अटवाल को कनाडाई उच्चायोग ने रात्रिभोज के लिए निमंत्रण दे दिया।

इस यात्रा में भारत-कनाडा ने नए निवेश और आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए संयुक्त ढांचे की घोषणा की। कनाडा ने आतंकवाद पर बब्बर खालसा इंटरनेशनल जैसे खालिस्तान समर्थक आतंकी समूहों का भी जिक्र किया, लेकिन कुछ समय बाद ट्रूडो सरकार ने इससे खालिस्तानी उग्रवाद की बात हटा दी। इसके बाद साल 2020 में किसान आंदोलन पर ट्रूडो की टिप्पणी ने दोनों सरकारों के बीच कड़वाहट और बढ़ा दी। ट्रूडो के पूर्वाग्रह ने दोनों देशों के बीच बिगड़ते संबंधों में आग में घी का काम किया। विशेषकर खालिस्तानी हरदीप निज्जर की हत्या को लेकर ट्रूडो ने बिना सबूत जिस तरह भारत और उसके शीर्ष नेताओं पर बेहद गंभीर आरोप लगाए, उसने रही-सही कसर पूरी कर दी। सितंबर 2023 में ट्रूडो ने भारतीय अधिकारियों पर कनाडा में खालिस्तानी हरदीप निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया।

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अक्टूबर 2024 में कनाडा ने खालिस्तानियों पर हमलों के मामलों में कई भारतीय राजनयिकों की जांच की बात कही। कनाडा का आरोप था कि भारतीय राजनयिक और खुफिया अधिकारी, विदेशों में खालिस्तानियों को मारने के लिए गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के साथ काम कर रहे हैं। कनाडा ने इसमें भारत के गृह मंत्री अमित शाह का नाम भी शरारतन बेवजह घसीट लिया, जिसके बाद भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कनाडा से अपने कई राजनयिकों को वापस बुला लिया। भारत ने कनाडाई राजनयिकों को भी निष्कासित कर दिया। अब जस्टिन ट्रूडो की सत्ता से विदाई के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।

प्रभात तिवारी

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