राजनीति लोकसभा चुनाव 2024

लोकसभा की इन 4 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों को 'अपनों' की ही चुनौती !

blog_image_662799f85aaa3

Lok Sabha Elections 2024: झारखंड की चार सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों को अपनों से ही खतरा बना हुआ है। चुनावी मैदान में अपने प्रतिद्वंदियों से मुकाबला करने से पहले उन्हें बगावत और भीतरघात की चुनौती का सामना करना होगा। झारखंड में भारत गठबंधन में सीट बंटवारे के तहत कांग्रेस को 14 में से 7 सीटें मिली हैं। इनमें से चार सीटों चतरा, गोड्डा, धनबाद और लोहरदगा पर उम्मीदवारी की घोषणा के बाद आ रही प्रतिकूल खबरों से कांग्रेस नेतृत्व चिंतित है।

गोड्डा सीट पर बदलना पड़ा प्रत्याशी

गोड्डा सीट पर पार्टी को अपना उम्मीदवार बदलना पड़ा। बताया जाता है कि चतरा सीट पर भी गठबंधन से बगावत की लहर तेज होने के कारण घोषित उम्मीदवार का नाम वापस लेकर उनकी जगह दूसरे चेहरे को मैदान में उतारने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। 21 अप्रैल को रांची में इंडिया अलायंस की संयुक्त रैली के दौरान चतरा से कांग्रेस प्रत्याशी केएन त्रिपाठी के समर्थकों और विरोधियों के बीच जमकर मारपीट हुई थी। दोनों तरफ से कई लोग घायल हो गए और रैली में कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच गई।

केएन त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाए जाने से लोग नाराज

दरअसल, केएन त्रिपाठी डालटनगंज के रहने वाले हैं। चतरा सीट से उन्हें उम्मीदवार बनाये जाने से न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक समूह नाराज है, बल्कि गठबंधन की दूसरी पार्टी राजद के नेता और कार्यकर्ता भी खुलेआम बगावत पर उतर आये हैं और चतरा के स्थानीय नेता को उम्मीदवार बनाने की मांग कर रहे हैं। इस सीट पर राजद का भी मजबूत दावा था, लेकिन कांग्रेस ने यहां अपना उम्मीदवार उतार दिया।

कांग्रेस ने पहले गोड्डा सीट से महगामा विधायक दीपिका पांडे सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था। उनकी उम्मीदवारी की घोषणा होते ही देवघर और गोड्डा में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। पार्टी के जिला कार्यालयों के सामने प्रदर्शन करते हुए नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सामूहिक इस्तीफा देने की भी धमकी दी। आखिरकार पांच दिन बाद पार्टी ने दीपिका की जगह पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।

ये भी पढ़ेंः-पिता लालू से सीखें, रंक के मुंह से राजा के लिए कुछ निकलना उचित नहीं, तेजस्वी के बयान पर पप्पू यादव का पलटवार

जामताड़ा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक डॉ। इरफान अंसारी इस सीट पर अपने पिता फुरकान अंसारी को टिकट देने की मांग कर रहे थे। फुरकान अंसारी और इरफान अंसारी का कहना है कि पार्टी ने पूरे राज्य में एक भी मुस्लिम को उम्मीदवार नहीं बनाया है, जबकि उनकी आबादी 18 फीसदी है। ऐसे में प्रदीप यादव के सामने दो विधायकों दीपिका पांडे सिंह और इरफान अंसारी और उनके समर्थकों को साथ लेकर चलने की बड़ी चुनौती है। हालांकि, प्रदीप यादव दावा कर रहे हैं कि उन्हें पार्टी के सभी विधायकों और नेताओं का समर्थन प्राप्त है।

दिग्गजों के दावों को दरकिनार करते हुए कांग्रेस ने धनबाद सीट पर 'नवागंतुक' अनुपमा सिंह को टिकट दिया है। इस चुनाव से पहले उनका सक्रिय राजनीति से कोई नाता नहीं था। उनकी सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बोकारो जिले के बेरमो से कांग्रेस विधायक जयमंगल सिंह अनुप सिंह की पत्नी हैं। बोकारो और धनबाद में पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं का एक समूह उनकी उम्मीदवारी का विरोध कर रहा है। अनुपमा की उम्मीदवारी के विरोध में सोमवार शाम कुछ लोगों ने पार्टी नेताओं का पुतला फूंका। इस सीट पर पूर्व सांसद ददई दुबे की भी दावेदारी थी। टिकट नहीं मिलने पर अब वे इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी ढुल्लू महतो को 'आशीर्वाद' दे रहे हैं।

बागी उम्मीदवारों ने बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन

इससे जुड़ी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही हैं। कांग्रेस ने लोहरदगा सीट से पूर्व विधायक सुखदेव भगत को अपना उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर झामुमो भी दावा कर रहा था। अब खबर है कि विशुनपुर के जेएमएम विधायक चमरा लिंडा यहां बागी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले चुनाव में भी सुखदेव भगत और चमरा लिंडा दोनों मैदान में थे और दोनों के बीच वोटों के बंटवारे ने बीजेपी उम्मीदवार की जीत का रास्ता साफ कर दिया था। झामुमो विधायक चमरा लिंडा के दोबारा मैदान में आने से कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत की मुश्किलें बढ़ना तय है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर(X) पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)