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राकांपा विधायक जयंत पाटिल के निलंबन के विरोध में विपक्ष लामबंद, अजीत पवार ने कही ये बात

मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के विधायक जयंत पाटिल के निलंबन को वापस लेने की मांग पर विपक्ष अड़ गया है। नागपुर में विपक्षी विधायकों ने शुक्रवार को सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर विधानभवन की सीढ़ियों पर बैठकर सरकार के विरोध में प्रदर्शन किया। विधायक जयंत पाटिल राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। विधानसभा अध्यक्ष पर अमर्यादित टिप्पणी के कारण उनको गुरुवार को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार ने कहा कि राज्य सरकार ने पूर्व नियोजित साजिश के तहत जयंत पाटिल को निलंबित कर दिया। उन्होंने कोई गलत बर्ताव विधानसभा में नहीं किया था। विधानसभा में अध्यक्ष ने सत्तापक्ष के 14 विधायकों को लगातार बोलने का अवसर दिया, जबकि विपक्ष के वरिष्ठ नेता बार-बार बोलने की मांग कर रहे थे। किसी तरह अध्यक्ष ने मुझे बोलने का अवसर दिया। इसके बाद शिवसेना (उ.बा.ठा.) के विधायक भास्कर जाधव बोलना चाहते थे, लेकिन उन्हें अवसर नहीं दिया गया। बाद में जयंत पाटिल को बोलने का अवसर मिला तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि यह क्या निर्लज्जता है। बस इसी एक शब्द की वजह से उन्हें निलंबित कर दिया गया।

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अजीत पवार ने कहा कि महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री के बयान का मामला हम सदन में उठाना चाहते थे। साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर भूमि आवंटन में गड़बड़ी का मामला भी हम सदन में उठाना चाहते थे। राज्य सरकार की मंशा है कि विपक्ष इन मुद्दों को सदन में न उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि सदन का एकतरफा संचालन किया जा रहा है। इसी वजह से विपक्षी विधायक राज्य सरकार के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।

शिवसेना विधायक आदित्य ठाकरे ने कहा कि राज्य सरकार बिना मतलब के मुद्दों पर सदन का कीमती वक्त जाया कर रही है। सदन में कर्नाटक के मुख्यमंत्री के विरुद्ध कोई व्यक्तव्य महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री नहीं दे रहे हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से सदन में गलत जानकारी दी जा रही है। उपमुख्यमंत्री ने दिशा सालियन मौत मामले में भी गलत जानकारी दी है। उपमुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री के जमीन घोटाले में भी गलत जानकारी देकर विधानसभा को गुमराह किया। इसलिए वे सोमवार को विधानसभा में उपमुख्यमंत्री के विरुद्ध विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाएंगे।

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