रांची: रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में एक नया मोड़ सामने आया है। मामले की जांच कर रही विशेष जांच दल (एसआइटी) ने अब झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल राजेन्द्र आयुविज्ञान संस्थान (रिम्स) तक पहुंच गई है। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में अब रिम्स का नेटवर्क भी सामने आ रहा है। इसके बाद ही रिम्स के दो संदिग्धों को एसआइटी ने पूछताछ के लिए उठाया है।
एसआइटी के मुताबिक पिछले दो दिनों से ही दोनों ही संदिग्धों से एसआईटी पूछताछ कर रही है। हिरासत में लिए गए दो संदिग्धों में एक रिम्स क्षेत्र का रहने वाला व्यक्ति और एक संविदा पर बहाल बताया जा रहा है। इनमें एक नर्स व एक वार्ड ब्वाय शामिल हैं।
रेमडेसिविर की कालाबाजारी की अनुसंधान कर रही एसआइटी ने पूर्व में अपनी पहली चार्जशीट दो आरोपितों के विरुद्ध दाखिल की थी। इन आरोपितों में राजीव कुमार सिंह व सृष्टि अस्पताल का कर्मी मनीष सिन्हा शामिल हैं। रेमडेसिविर की कालाबाजारी का मामला तब सामने आया था, जब कोरोना वायरस की दूसरी लहर पीक पर थी और इस जीवन रक्षक इंजेक्शन की मारामारी चल रही थी।
रांची के कोतवाली थाने में राजीव कुमार सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई थी, जिसके बाद इस केस को अपराध अनुसंधान विभाग (सीआइडी) ने टेकओवर किया था। इस मामले की मॉनीटरिंग हाई कोर्ट के स्तर से हो रही है। हाई कोर्ट के आदेश पर ही रेमडेसिविर मामले में एडीजी अनिल पाल्टा के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया गया था, जिसके बाद से ही इस प्रकरण में नए-नए एक के बाद एक राज सामने आ रहे है।
हाई कोर्ट लगातार कर रहा है मॉनिटरिंग
रेमडेसिविर की कालाबाजारी की मॉनिटरिंग लगातार हाई कोर्ट कर रहा है। हाई कोर्ट ने कहा मामले में गुरुवार को कहा था कि दवा की कालाबाजारी मामले में जांच की अब तक की प्रगति संतोषजनक नहीं है। कोर्ट स्वंय अनुसंधान नहीं कर सकता है। जांच कर रही एसआईटी का यह दायित्व है कि वह प्रोफेशनल तरीके से मामले की जांच करें।
मामले में जब ग्रामीण एसपी का नाम सामने आया, तो उन्हें सरकारी गवाह क्यों बना दिया गया। आरोपित को गवाह नहीं बनाया जा सकता। अदालत ने जांच की प्रगति पर असंतोष प्रकट किया और नाराजगी भी जतायी थी। अदालत ने कहा था कि जांच में किसी प्रकार की त्रुटि नहीं रहे, ताकि आरोपितों को लाभ मिल सके। एसआईटी इसका ध्यान रखें। अदालत ने एसआईटी को समय-समय पर मामले की जांच की जानकारी देने का निर्देश दिया है।
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उल्लेखनीय है कि बीते 28 अप्रैल को रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी मामले में राजीव सिंह को गिरफ्तार किया गया था। वह ब्लैक में रेमडेसिविर इंजेक्शन बेच रहा था। इसी सूचना पर पुलिस ने उसे राजभवन के सामने से गिरफ़्तार किया था।