Friday, November 22, 2024
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeदेशभारत अब ब्रह्मपुत्र नदी के भीतर बनाएगा 15.6 किमी. दोहरी सुरंग, मिली...

भारत अब ब्रह्मपुत्र नदी के भीतर बनाएगा 15.6 किमी. दोहरी सुरंग, मिली सहमति

नई दिल्लीः पूर्वी लद्दाख में चीन से गतिरोध शुरू होने के बाद से भारत पूर्वोत्तर की सीमा तक अपने सड़क बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहा है। इसके साथ ही अब मोदी सरकार इसी साल के अंत में दिसम्बर से ब्रह्मपुत्र नदी में पानी के भीतर रणनीतिक महत्व की 15.6 किलोमीटर लंबी जुड़वां सड़क सुरंग बनाने जा रही है। केंद्र सरकार और सैन्य संचालन निदेशालय ने भी इस परियोजना पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है। लगभग 12,807 करोड़ रुपये लागत वाले इस प्रोजेक्ट से न केवल असम राज्य के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की सुरक्षा होगी बल्कि इस सुरंग के जरिए अरुणाचल प्रदेश की कनेक्टिविटी देश के अन्य हिस्सों से और मजबूत हो सकेगी।

बीते वर्षों में कई बार ऐसी खबरें आईं हैं कि तिब्बत स्वायत्त इलाके से निकलने वाली यारलंग जांग्बो नदी का जल प्रवाह रोकने के उद्देश्य से चीन अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास स्थित तिब्बत के मेडोग काउंटी में बांध का निर्माण कर रहा है। यह यारलंग जांग्बो नदी भारत के असम में आने पर ब्रह्मपुत्र नदी बनती है और असम से होकर बांग्लादेश में जाती है। ब्रह्मपुत्र नदी पर चीनी बांध बन जाने के बाद भारत, बांग्लादेश समेत कई पड़ोसी देशों को सूखे और बाढ़ दोनों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि चीन अपनी मनमर्जी से कभी भी बांध का पानी रोक सकता है या बांध के दरवाजे खोल सकता है। ऐसी स्थिति में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में जल की आपूर्ति भी बाधित हो सकती है। ब्रह्मपुत्र को भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और बांग्लादेश के लिए जीवन का आधार माना जाता है और लाखों लोग अपनी आजीविका के लिए इस पर निर्भर हैं।

चीन की तरफ से पैदा की जा रही इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए भारत शक्तिशाली ब्रह्मपुत्र नदी के भीतर 15.6 किलोमीटर लम्बी जुड़वां सुरंग बनाने की तैयारी कर रहा है। सबसे पहले सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने ब्रह्मपुत्र नदी पर सुरंग निर्माण की योजना बनाई थी, लेकिन बीआरओ ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) नहीं तैयार की थी। इस बीच सड़क मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय से परियोजना पर सहमति ले ली और राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) को हरी झंडी दे दी क्योंकि इसकी डीपीआर उन्नत चरण में है। एक सितम्बर को सड़क सचिव गिरिधर अरमाने की अध्यक्षता में हुई बैठक में एनएचआईडीसीएल को सुरक्षा पर कैबिनेट समिति के लिए एक मसौदा नोट तैयार करने का निर्देश दिया गया है। इसके बाद एनएचआईडीसीएल ने जुड़वां सुरंग की भूभौतिकीय अध्ययन का मसौदा सड़क मंत्रालय को सौंप दिया है।

रणनीतिक महत्व के कारण इस परियोजना पर केंद्र सरकार और सैन्य संचालन निदेशालय ने भी अपनी सैद्धांतिक सहमति दे दी है। इस परियोजना की लागत 12,807 करोड़ रुपये होगी और ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे चार लेन की सुरंग का निर्माण टनल बोरिंग मशीनों से किया जाएगा। काम शुरू होने के बाद दो साल में इसके पूरा होने की उम्मीद है। इस परियोजना को पूरी तरह से सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा। ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे एनएच 54 से एनएच-37 को जोड़ने वाली इस फोर लेन टनल से अरुणाचल प्रदेश की कनेक्टिविटी और मजबूत हो सकेगी। इस खास सुरंग को ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे गोहपुर से नुमालीगढ़ तक बनाया जाएगा। टनल का निर्माण कार्य इस साल के दिसंबर महीने में शुरू हो जाएगा।

एनएचआईडीसीएल के मुताबिक दुर्घटना या किसी अन्य आपात स्थिति के मामले में निकासी में मदद के लिए दोनों सुरंगों को आपस में जोड़ा जाएगा। वाहनों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए सुरंगों में एक विद्युत सबस्टेशन, सेंसर और सीसीटीवी होंगे। नदी तल से 22 मीटर नीचे बनाई जाने वाली दो सुरंगों में से प्रत्येक में यातायात के लिए दो लेन होंगी। परियोजना की कुल लंबाई लगभग 33 किमी. होगी, जिसमें 15.6 किमी सुरंग और राजमार्ग से जुड़ने के लिए 18 किमी. की पहुंच वाली सड़कें शामिल हैं। चार लेन की सुरंग में दो ट्यूब्स के अंदर 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से वाहन चल सकेंगे। इस सुरंग से अरुणाचल प्रदेश से लगने वाली सीमा तक सैन्य वाहन, रसद और सामरिक वस्तुओं की आपूर्ति कराई जा सकेगी।

यह भी पढ़ेंः-प्रधानमंत्री से बात कर भावुक हुए पैरा एथलीट, बोले-आज तक किसी ने नहीं दिया ऐसा सम्मान

दरअसल एनएचआईडीसीएल ने गोहपुर और नुमालीगढ़ को जोड़ने के लिए ब्रह्मपुत्र पर चार लेन का पुल बनाने का प्रस्ताव रखा था लेकिन युद्ध या किसी अन्य बाहरी परिस्थितियों के मामले में रणनीतिक रूप से अधिक उपयोगी मानते हुए 2019 में एक जुड़वां ट्यूब सुरंग बनाने का निर्णय लिया गया। अब तक नुमालीगढ़ से गोहपुर तक लगभग 223 किलोमीटर की दूरी तय करने में लगभग छह घंटे लगते हैं। काजीरंगा वन्यजीव अभ्यारण्य से सटी दो लेन की सड़क ज्यादा घुमावदार होने से यात्रा में अधिक समय लगता है। नदी के नीचे सुरंग बनने के बाद नुमालीगढ़ और गोहपुर के बीच की दूरी 35 किमी. तक कम हो जाएगी और एक घंटे से भी कम समय लगेगा। यह परियोजना ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर और दक्षिण की ओर के बीच संपर्क में सुधार करेगी और इसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में अधिक आर्थिक विकास होगा।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर  पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें