नई दिल्लीः रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को अंतरिम अमेरिकी रक्षा मंत्री क्रिस्टोफर सी. मिलर से फोन पर बात की। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि रक्षा के क्षेत्र में भारत-अमेरिका की साझेदारी पिछले एक दशक में रणनीतिक रूप से परिपक्व हो गई है। टेलीफोनिक बातचीत के बाद सिंह ने कहा कि अक्टूबर में दोनों देशों के बीच बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (बीईसीए) पर हस्ताक्षर करना रक्षा सहयोग की भविष्य की दिशा का एक 'शक्तिशाली संकेत' था।
रक्षा मंत्रियों ने कहा कि वर्ष 2020 भारत-अमेरिका के बीच रक्षा संबंधों के लिहाज से ऐतिहासिक वर्ष था। इसीलिए भारत और अमेरिका इस साल ऐतिहासिक समझौतों पर हस्ताक्षर करने में सक्षम हुए। 27 अक्टूबर को भारत और अमेरिका के बीच हुए ऐतिहासिक बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (बीईसीए) से दोनों देशों के संबंधों की मजबूत नींव रखी गई है। यह समझौता दोनों देशों के बीच उच्च अंत सैन्य प्रौद्योगिकी, रसद और भू-स्थानिक मानचित्रों को साझा करने के लिए प्रदान करता है। इस समझौते का निष्कर्ष एक-दूसरे की क्षमता वृद्धि के लिए सहयोग और हमारे भविष्य की दिशा का एक शक्तिशाली संकेत है। अधिकारियों ने कहा कि बातचीत के दौरान रणनीतिक सहयोग से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई।
अमेरिका ने जून 2016 में अपने सबसे करीबी सहयोगियों और साझेदारों के साथ रक्षा व्यापार और प्रौद्योगिकी के बंटवारे को एक स्तर तक बढ़ाने के लिए भारत को 'मेजर डिफेंस पार्टनर' नामित किया था। दोनों देशों ने 2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (लेमोआ) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते से दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच युद्धपोतों, विमानों के लिए ईंधन, स्पेयर पार्ट्स, लॉजिस्टिक सपोर्ट, सप्लाई और अन्य सेवाओं की सुविधा मिलती है। इनमें कपड़े, भोजन, स्पेयर पार्ट्स, अन्य आवश्यक वस्तुओं के बीच चिकित्सा सेवाएं शामिल हैं। भारत ने इस समझौते का इस्तेमाल पहली बार चीन की सीमा पर लद्दाख की पहाड़ियों पर तैनात सैनिकों की 'कोल्ड वार किट' लेने के लिए किया है।