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विदेश मंत्री बोले- अग्रणी शक्ति बनने की भारत की खोज सारभूत संबंधों में निवेश करने पर आधारित

India-power-nfrastructure   नई दिल्लीः विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि अग्रणी शक्ति बनने की भारत की खोज सारभूत संबंधों में निवेश करने पर आधारित है। लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों में हमारे प्रयास इसी भावना से किए जा रहे हैं। वह इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन: ‘कनेक्टेड हिस्ट्रीज़, शेयर्ड प्रेजेंट’ के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। विदेश मंत्री ने कहा कि राजनीतिक रूप से लैटिन और कैरेबियाई देशों का भारत के साथ आगे बढ़ना साझा आकांक्षाओं और विरासतों से उपजा है। संयुक्त राष्ट्र, जी20 और कॉप में हमारा सहयोग इसका प्रमाण है। समकालीन चुनौतियों पर हमारे साझा विचार आईएसए, सीडीआरआई और वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में मजबूत क्षेत्रीय भागीदारी से परिलक्षित होते हैं। उन्होंने कहा कि गिरमिटिया देशों से हमारा भावनात्मक जुड़ाव मजबूत बना हुआ है। उन्होंने कहा कि लैटिन अमेरिकी देशों के साथ हमारा वार्षिक व्यापार हमारे सबसे बड़े भागीदारों का 50 प्रतिशत है। इन बाजारों में एक उभरता हुआ मध्यम वर्ग उन्हें और बढ़ाने में मदद करेगा। हमारी 40 विकास साझेदारी परियोजनाएं भी हमारे निवेश को दर्शाती हैं। विकास के हमारे समान अनुभव इस संबंध में हमारे प्रयासों को और बढ़ावा देते हैं। कोविड काल भारत की एकजुटता और समर्थन का एक प्रत्यक्ष उदाहरण था। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)