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इस्लामिक षडयंत्र में फड़फड़ाता भारत

  मई के पहले सप्ताह में प्रदर्शित हुई फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ अपने प्रदर्शन से पहले ही चर्चा में आ गई थी। इस फिल्म में देश की उन हिंदू और ईसाई महिलाओं की आपबीती दिखाई गई है, जिनका ब्रेनवॉश करके पहले उन्हें इस्लाम कबूल करने पर मजबूर किया गया लेकिन इसका अंत हद से ज्यादा खौफनाक है क्योंकि वह इन महिलाओं को दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस तक ले जाती है। इन महिलाओं को अफगानिस्तान और सीरिया भेज कर उन्हें आईएसआईएस आतंकवादी बना दिया जाता है। निर्देशक सुदीप्तो सेन के निर्देशन में बनी इस फिल्म में केरल राज्य की कुछ सत्य घटनाओं को आधार बना कर पर्दे पर उतारा गया हैं। फिल्म में कहा गया है कि केरल की 32,000 महिलाओं को लव जिहाद का शिकार बना कर उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बर्बाद कर दिया गया है। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु जैसे कुछ राज्यों में कानून व्यवस्था का हवाला देकर इस फिल्म पर बैन लगाए गए, तो झारखण्ड और केरल आदि राज्यों में भी इस पर बैन लगाने की मांग हुई। फिलहाल सर्वोच्च अदालत ने पश्चिम बंगाल में फिल्म प्रदर्शन पर लगे बैन को हटा दिया है। फिल्म की कहानी भले ही केरल राज्य के इर्द-गिर्द घूमती है परन्तु सच उससे बहुत आगे है। लव जिहाद का जहर अब देश के हर राज्य, शहर, कस्बे और यहां तक कि गांवों तक पंहुच गया है। हिंदू समाज की मासूम लड़कियों को हिंदू बन कर प्रेम जाल में फंसाना फिर शादी करना और उसके बाद उन्हें तमाम प्रकार की यातनाएं देकर सेक्स स्लेब से लेकर आतंकी बनने तक मजबूर किया जा रहा है। ‘लव, सेक्स और धोखा’ का सबसे जघन्य मामला पिछले साल देश की राजधानी दिल्ली में सामने आया। महरौली इलाके में रहने वाले आफताब पूनावाला ने 2019 में एक डेटिंग एप से श्रद्धा वाकर से दोस्ती की। लिव इन रिलेशन में लम्बे समय तक रहने के बाद जब श्रद्धा ने शादी का प्रस्ताव रखा तो दोनों में विवाद हुआ और 18 मई 2022 को आफताब ने अपने घर में ही श्रद्धा की हत्या करके उसकी लाश के 35 टुकडे किए, उसके चेहरे को गैस के बर्नर से बिगाडा फिर लाश के टुकड़े को जंगल में फेंक दिया। पुलिस पूछताछ में पता चला कि आफताब को इस हत्या का कोई पछतावा नहीं है। यह भी पता चला कि उसके अन्य लड़कियों से भी संबध थे। वह लड़कियों को शादीशुदा जिंदगी के लिए नहीं, बल्कि सेक्स स्लेब की तरह रखना चाहता था। इस घटना की गूंज अभी खत्म नही हुई थी कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दुबग्गा के डूडा कॉलोनी में 19 वर्षीय निधि गुप्ता को उसके प्रेमी सुफियान ने मतांतरण का विरोध करने पर चौथी मंजिल से नीचे फेंक दिया। गंभीर अवस्था में निधि को ट्रामा सेंटर ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। निधि पास के एक ब्यूटी पार्लर में काम सीख रही थी, जहां सूफियान अक्सर उसे मिला करता था। निधि को अपने प्रेम जाल में फंसाने के बाद उसका मतांतरण कराना चाह रहा था, जिसका वह विरोध कर रही थी। प्रदेश के बहराइच जिले में महमूद खान हिंदू युवती को प्रेम जाल में फंसाने के लिए रौनक चौरसिया बन गया। वह दो साल तक युवती का शोषण करता रहा और वीडियो भी बना लिया। असलियत पता चलने पर युवती ने विरोध किया तो वीडियो वायरल करने की धमकी दी और फिर धमकाकर निकाह कर लिया। इसके बाद वह आए दिन उसके साथ मारपीट करता था। एक दिन महमूद ने उसके बाल काट दिए और घर से भगा दिया। पीड़िता की तहरीर पर पुलिस ने आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है। शामली जिले में नाम और धर्म छिपाकर सलीम ने हिंदू युवती को प्रेम जाल में फंसाकर उसका शारीरिक शोषण किया। सच सामने आने के बाद युवती ने आत्मग्लानि में आत्महत्या कर ली। मृतका की भाभी ने बताया कि जनपद के झिंझाना निवासी युवक ने खुद को हिंदू बताते हुए फेसबुक के माध्यम से युवती को प्रेम जाल में फंसाया था। इस दौरान उसने युवती से शादी भी कर ली थी। आरोप लगाया कि कई बार युवती का गर्भपात भी कराया था। सच पता चलने और उत्पीडन से तंग आकर युवती ने आत्महत्या कर ली। झारखण्ड की राष्ट्रीय शूटर तारा शाहदेव लव जिहाद का शिकार हुई। रंजीत कुमार कोहली नामक युवक से प्रेम और फिर विवाह के पश्चात तारा शाहदेव को पता चला कि वास्तव में वह हिंदू युवक नहीं, बल्कि मुस्लिम युवक रकीबुल हसन खान है। विवाह के बाद उसने तारा शाहदेव पर इस्लाम कबूल करने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया। विरोध करने पर उसके साथ बुरी तरह मारपीट करता था। कई बार तारा को कुत्ते से कटवाया गया था कि वह डर कर धर्म परिवर्तन कर ले। 15 जून 2004 को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी जावेद शेख, उसकी दोस्त इशरत जहां और अन्य आतंकवादी गुजरात पुलिस की गोलियों से मारे गए थे। इशरत जहां को निर्दोष बताकर बहुत हो हल्ला मचा, किंतु बाद में प्रमाण से पता चला कि यह सभी लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य थे। इस घटना का आश्चर्यजनक तथ्य यह था कि केरल के गोपीनाथ पिल्लै ने अपने पुत्र प्रणेश कुमार पिल्लै को आतंकवादी जावेद शेख की लाश के रूप में पाया, जबकि उन्होंने सन 1988 में अपने पुत्र प्रणेश को पुणे में इलेक्ट्रीशियन के प्रशिक्षण के लिए भेजा था, जहां प्रशिक्षण के बाद उसे नौकरी के लिए कंपनी में भेज दिया गया था। वहां उसका संबंध साजिदा से हो गया और साजिदा के प्रेम में पड़कर केरल का प्रणेश कुमार पिल्लै जावेद शेख बन गया। जावेद नौकरी के लिए दुबई गया और वहां से ओमान, जहां वह लश्कर-ए-तैयबा संगठन में शामिल हो गया था।

केरल ही नहीं, पूरे देश में घुल रहा यह जहर

लव जिहाद का मामला आज केरल स्टोरी से भले ही चर्चा में आ रहा है, जबकि सच यह है कि पिछले दो दशकों से यह जहर पूरे देश में घुल रहा है। कुछ वर्ष पहले मुम्बई में लव जिहाद के एक मामले ने तहलका मचाया था। छत्तीसगढ़ के पूर्व कांग्रेसी एमएलए बदरुद्दीन कुरैशी के बेटे अजीजुद्दीन कुरैसी ने 13 वर्ष की हिंदू लड़की से दोस्ती की। धीरे- धीरे लड़की को शादी का झांसा देकर कई साल तक उससे रेप करता रहा और इस बीच उसका गर्भपात कराया गया। कुरैशी कुछ समय बाद उसे छत्तीसगढ़ से मुम्बई लेकर आ गया। यहां भी कुरैशी का उत्पीड़न जारी रहा, उसे मारपीट कर कुरान की आयते रटवाई गईं, नशे की गोली देकर निकाहनामा पर हस्ताक्षर कराए गए। गणेश पूजा करने पर उसकी भरपूर पिटाई की जाती। आखिरकार कुछ दिनों बाद लड़की को घर से बाहर होना पड़ा। लव जिहाद में फंसी लड़की का सब कुछ खत्म हो चुका था। उसने अपनी पहचान खोई, मजहब खोया, अपनों को खोया, एक बच्चा खोया और सामाजिक सम्मान खोकर एकाकी जीवन जीने को मजबूर हो गई क्योंकि नाराज घर वालों ने पहले ही उससे अपने रिश्ते खत्म कर लिए थे। ‘द केरल स्टोरी’ फिल्म में एक डायलॉग है कि ‘यह एक ग्लोबल एजेंडा है और अगले 20 साल में केरल इस्लामिक स्टेट बन जाएगा’। डायलॉग भले ही सीन की मांग है और केरल के संदर्भ में है लेकिन सच यह है कि आज केरल ही नही पूरे देश को इस्लामिक स्टेट की ओर ले जाने का षडयंत्र चल रहा है। अगर इसे अतीत के आइने से देखें तो पता चलता है कि भारत पर हुए अधिकांश मुस्लिम आक्रांताओं के आक्रमण की जड़ में इस्लाम का विस्तार ही रहा है। सदियों से भारत की संस्कृति, धर्म, सभ्यता को नष्ट करके इस्लाम को भारत में स्थापित करने का प्रयास किया गया। आजादी के बाद अलग पाकिस्तान बनने के बाद भी भारत की सत्ता में अपना वर्चस्व बनाए रखने का स्वप्न इस्लामिक देशों के साथ-साथ इस्लाम समर्थकों के मन में बना हुआ है। आजादी के बाद कभी प्रत्यक्ष, कभी छद्म रूप से घुसपैठ, युद्ध, आक्रमण, और फिर आतंकी गतिविधियां चलती रहीं है लेकिन देश हर मोर्चे पर उसका न केवल डट कर मुकाबला करता रहा है अपितु मुंहतोड़ जवाब देकर षडयंत्र को नाकाम करता रहा है। इस्लामिक षडयंत्रों पर नजर रखने वाले समीक्षकों का मानना है कि पिछले दो दशकों में इस्लामी आतंकियों ने अपने आक्रमण के तरीके में बदलाव किया है। अब वह रणनीति में बदलाव करते हुए भारत को भावनात्मक रूप से शोषित करके अपने उद्देश्य तक पंहुचने की योजना पर काम कर रहे है। इस योजना का नाम है लव जिहाद। भारत में लव जिहाद का जो नया रूप देखने में आ रहा है, उसमें युवा मुस्लिम लड़के या लड़कियां गैर-मुस्लिम लड़के या लड़कियों के साथ प्यार का ढोंग करके उनका धर्म परिवर्तन करते हैं, उनका खुशहाल, शादीशुदा जिंदगी बसर करने का कोई इरादा नहीं होता है। वह हिंदू लड़की को कई तरह से इस्तेमाल करते हैं, जैसे- सेक्स स्लैब बना कर रखना, कुछ समय बाद उसे तलाक दे देना, अरब देशों में भेज देना, उसके अश्लील वीडियो बनाकर इंटरनेट पर डालना, वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर करना आदि शामिल है। आज फिल्म के कारण केरल चर्चा में है, जिसमें 20 वर्ष में केरल को इस्लामिक राज्य बन जाने की बात कही गई है। ऐसे में पहले केरल की बात करते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की 26 जुलाई 2010 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन ने कहा था कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और कैंपस फ्रंट जैसे संगठन दूसरे धर्मों की लड़कियों को फुसलाकर उनसे शादी करके, इस्लाम कबूल करवाने की साजिश रच रहे हैं और अगले 20 सालों में केरल का इस्लामीकरण करने की योजना बना रहे हैं। दूसरे धर्म की लड़कियों से शादी करके लव जिहाद के जरिए सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ा जा सकता है। केरल कैथोलिक विशप्स काउंसिल के मुखपत्र जगराथा ने 2015 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें कहा गया था कि 2005 से 2012 के बीच लगभग 4,000 युवा ईसाई लड़कियों को इस्लाम में परिवर्तित किया गया है। कुछ समय पहले प्रकाशित एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया था कि केरल में साल 2005 से लेकर 2009 के बीच 3000-4000 मामले आए, जिसमें कासरगोड, कन्नौर, कोजिकोडे और मल्लापुरम जिलों में इस तरह के कुल 1,600 मामले सामने आए थे। केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी ने जून 2014 में विधानसभा में जानकारी दी थी कि 2,667 युवतियां गत एक दशक में प्रेम विवाह के बाद इस्लाम कबूल कर चुकी हैं। 2014 के बाद इस मामले में तेजी आई है, इसे सहजता से हर कोई स्वीकार कर रहा है लेकिन वर्ष 2000 के बाद से केरल में चर्चा में आए इस लव जिहाद से पीड़ितों का कोई अधिकृत आंकड़ा सरकार या अन्य किसी के पास नहीं है लेकिन जिस व्यापक पैमाने पर वहां लव जिहाद का खेल चल रहा है, वह फिल्म के 32,000 के आंकड़ों को सच के करीब लाता दिखता है। India fluttering in Islamic conspiracy

यूपी में सख्त कानून हुआ है लागू

उत्तर प्रदेश में भी आए दिन घटती घटनाएं यह दर्शित कर रही हैं कि यहां भी सब कछ सामान्य नहीं है। उत्तर प्रदेश में कई ऐसे मामले सामने आए, जो प्रदेश में लव जिहाद के पैर पसारने का सबूत है। पहचान छिपा कर पहले प्रेम का इजहार फिर शादी का नाटक, उसके बाद धर्म परिवर्तन, हिजाब, आबरु का बाजार में सौदा, इंकार पर यातनाओं का अंतहीन सिलसिला, जो कई बार मौत तक ले जाता है, अब रोज की खबर है। यदि यातनाओं के बाद भी युवती बच गई, तो सब कुछ लुटने के बाद फेंक दिया जाता है गुमनाम सड़कों पर घुट-घुट कर मरने के लिये। लव जिहाद के बढते मामलों को रोकने के लिये कई राज्यों ने कानून बनाए हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है। उत्तर प्रदेश में लव जिहाद की बढ़ती घटनाओं पर प्रभावी कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कठोर कानून बनाया है। 24 नवंबर 2020 को योगी मंत्रिमंडल द्वारा उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 को मंजूरी दी गई और 28 नवंबर 2020 को यूपी के राज्यपाल की सहमति प्राप्त हुई। फरवरी 2021 में इसे सदन से कानून की मान्यता प्रदान कर दी गई। इसके तहत धर्म बदलने के लिए कम से कम 60 दिन यानी दो महीने पहले जिलाधिकारी या संबंधित अपर जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष तय प्रारूप में आवेदन करना अनिवार्य होगा। इस कानून के तहत झूठ, जबरन, मिथ्या, प्रभाव दिखाकर, धमकाकर, लालच देकर, विवाह के नाम पर या धोखे से किया या कराया गया धर्म परिवर्तन अपराध की श्रेणी में आएगा। ऐसे धर्म परिवर्तन कराने या करने के मामलों में अगर एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन नहीं किया गया, तो इस बात के सबूत की जिम्मेदारी आरोपी बनाए गए व्यक्ति पर ही होगी। इस कानून में यह भी व्यवस्था है कि अगर कोई व्यक्ति सिर्फ शादी के लिए लड़की का धर्म बदलवाता है, तो ऐसे में शादी कानून की नजर में अवैध मानी जाएगी। इस कानून के तहत नियम का उल्लंघन करने पर वाले पर कम से कम 01 साल और अधिकतम 05 साल की सजा का प्रावधान है, साथ ही कम से कम 15 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया जा सकता है लेकिन घटनाएं बताती हैं कि अभी इस कानून का लोगों में भय नही है। भारत को इस्लामिक देश बनाने के लिए चल रहे षडयंत्र में केवल लव जिहाद ही नही है, अपितु तमाम प्रकार से इस्लाम के विस्तार और मजबूती के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। मुस्लिम जनसंख्या में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी भी अब आम लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। मुस्लिम आबादी का हिन्दुओं, ईसाई तथा अन्य धर्मों की तुलना में अधिक दर से वृद्धि अब सरकारों के लिए चिंता का विषय बन रही है। पिछले तीन दशको में जनसंख्या असंतुलन में बड़ा बदलाव आया है। मुस्लिमों की बढ़ती आबादी का प्रतिशत देखकर अब कहा जाने लगा है कि 2051 तक भारत में मुस्लिम आबादी 31.1 करोड़ हो जाएगी, जो पूरी दुनिया की 11 प्रतिशत होगी। इस आंकड़े के कारण भारत सर्वाधिक मुस्लिम आबादी वाला देश बन जाएगा। इसी के साथ सबसे खटकने वाली बात यह है कि हिंदू धर्म और संस्कृति से मेल खाने वाले बौद्ध और जैन धर्म की जनसंख्या में अपेक्षाकृत कमी आ रही है। यह भी पढ़ेंः-मिशन 2024 और सियासी पार्टियों के लिए कर्नाटक चुनाव के संदेश

हिंदू धार्मिक स्थलों पर भी जमा रहे कब्जा

देवभूमि उत्तराखण्ड की बात करें तो वहां बड़े पैमाने पर जनसंख्या असंतुलन हो रहा है। उत्तराखण्ड में कुल 13 जनपद हैं, जिसमें चार जनपद, हरिद्वार, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर एवं देहरादून मैदानी क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं, जबकि शेष 09 जनपद पहाड़ी क्षेत्र के अंतर्गत है। प्रदेश के चार सर्वाधिक आबादी वाले जनपद भी मैदानी इलाके वाले जनपद ही हैं। 2011 में हुई जनगणना में हरिद्वार की आबादी 18,90,422, देहरादून की 16,96,694, ऊधमसिंह नगर की 16,48,902 तथा नैनीताल की 9,54,605 थी। इसके बाद अधिकृत रुप से जनगणना अभी नही हुई है लेकिन समय-समय पर तैयार हो रही मतदाता सूची बता रही है कि इन मैदानी जनपदों में मुस्लिम आबादी तेजी से पांव पसार रही है। मुस्लिम आबादी प्रमुख तीर्थ स्थानों तक पंहुच गई है। चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ मंदिर और रुद्र प्रयाग में स्थित केदारनाथ मंदिर तक मुस्लिम समुदाय ने अपनी पहुंच बना ली है। संत समाज के विरोध के बाद बद्रीनाथ से मुस्लिमों को हटाया गया था, लेकिन धीरे-धीरे वह फिर किसी न किसी बहाने से बस रहे हैं। कांग्रेस ने इनको आवश्यक दस्तावेज भी दे दिए हैं। केदारनाथ में यात्रियों के लिए चलाए जाने वाले घोड़े, दुकान व अन्य छोटे कार्यों पर अब मुसलमानों का ही आधिपत्य है। हिंदू समाज के लोग अब अपना पुराना पेशा छोड़ कर यहीं नौकरी करके अपने परिवार पालने को मजबूर हो गए हैं। उत्तराखंड़ में मुसलमानों की आबादी ही नही बढ़ी, अपितु उन सबने समय और स्थान देख कर मस्जिद और मजार बनाने का भी प्रयास किया है। उन्हें सफलता भी मिली है। राज्य में वन विभाग की खाली पड़ी भूमि पर कई अवैध मजारों का निर्माण देखते-देखते हो गया। जब खबरें चर्चा में आईं, तो राज्य में तहलका मच गया। स्वयं मुख्यमंत्री ने मामले का संज्ञान लेकर वन विभाग को निर्देश दिए, तब जाकर वन विभाग ने इन मजारों को हटवाया। आजादी के बाद से भारत में बढ़ रही इस्लामिक गतिविधियों पर वोटों की राजनीति ने कभी अंकुश नही लगने दिया। आज भी चंद भाजपा शासित राज्यों को छोड़ कर कोई सरकार इन पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाने की इच्छुक नहीं दिखाई पड़ती है, जबकि अब समय आ गया है कि सभी दल इस राष्ट्रीय मुद्दे पर एकमत होकर इस्लामिक षडयंत्र में शामिल संगठनों को मुंहतोड जवाब दें। हरि मंगल (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)