लखनऊः उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की इनकम को धार्मिक यात्रा और बरसात ने खासा प्रभावित किया है। बसों का संचालन न होने से परिवहन निगम को रोजाना करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। आय प्रभावित होने से अब रोडवेज प्रबंधन को कर्मचारियों के वेतन की चिंता सताने लगी है।
दरअसल, सावन माह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों से कांवड़ यात्रा निकालकर मां गंगा का पवित्र जल लेने के लिए उत्तराखंड के हरिद्वार जाते हैं। सैकड़ों किलोमीटर पैदल यात्रा तय करके श्रद्धालु इस पवित्र स्थल तक पहुंचते हैं। भले ही श्रद्धालु पैदल यात्रा तय करते हैं, मगर इसका सीधा असर रोडवेज बसों के संचालन पर पड़ता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तमाम मार्गों पर धार्मिक यात्रा और बारिश के चलते बसों का संचालन काफी कम हो गया है, वहीं कई रूटों पर बस संचालन न होने से यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, परिवहन निगम के अफसर धार्मिक यात्रा के बजाय बारिश को इनकम कम होने की अहम वजह मान रहे हैं।
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अधिकारियों का कहना है कि धार्मिक यात्रा के दौरान पहले सड़क पर एक तरफ का रूट खुला रहता था और दूसरी तरफ की लाइन में श्रद्धालु चलते थे, मगर इस बार दोनों रूट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं, जिससे बसों का संचालन प्रभावित हुआ है। इसके चलते राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। धार्मिक यात्रा के साथ ही बारिश ने रोडवेज को दोहरी चोट पहुंचाई है। अब आय की भरपाई के लिए निगम अफसर सितंबर माह का इंतजार कर रहे हैं, जब बसों में यात्रियों की संख्या बढ़ने के साथ आय भी बढ़ेगी।
परिवहन निगम के अफसरों की मानें तो सिर्फ धार्मिक यात्रा ही नहीं, बल्कि बारिश इसकी प्रमुख वजह है। लखनऊ रीजन के आरएम पल्लव बोस के अनुसार बारिश के मौसम में यात्री घर से सफर के लिए काफी कम निकलते हैं, इससे बसों का संचालन प्रभावित है। इस मौसम को लीन सीजन माना जाता है और हर वर्ष बसों का संचालन कम होता है। सितंबर माह में फिर से यात्री मिलने शुरू हो जाते हैं।
लखनऊ रीजन को रोजाना 30 लाख का नुकसान –
इन दोनों वजहों से लखनऊ रीजन की बसों का भी संचालन प्रभावित है। राजधानी से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपदों के लिए संचालित होने वाली बसों को 100 से 120 किलोमीटर तक डायवर्ट किया जा रहा है यानी इन बसों को गंतव्य तक पहुंचने के लिए घूमकर जाना पड़ रहा है। इससे बसों का डीजल समेत अन्य खर्च भी बढ़ गया है, जबकि आय कम हो गई है। धार्मिक यात्रा व बारिश के चलते लखनऊ रीजन की करीब 400 बसों का संचालन प्रभावित है। इसके चलते रोजाना की आय भी कम हो गई है। आम दिनों में लखनऊ रीजन की आय जहां रोजाना 01 करोड़ 30 लाख रुपए थी, तो वहीं वर्तमान में आय घटकर 01 करोड़ ही रह गई है। ऐसे में रोजाना परिक्षेत्र को करीब 30 लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
15 की जगह हो रही 09 करोड़ की आय –
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम प्रदेश समेत अन्य राज्यों के लिए 12 हजार से अधिक बसों का संचालन करता है। इन बसों के संचालन से परिवहन निगम को रोजाना करीब 15 करोड़ रुपए की आय होती है। वर्तमान में बारिश के चलते यात्रियों का निकलना कम हो पा रहा है। परिवहन निगम के लिए लीन सीजन बड़े घाटे की वजह बन रहा है। परिवहन निगम की रोजाना की आय 09 करोड़ रह गई है यानी रोडवेज को रोजाना 06 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है। आय में कमी आने से अब रोडवेज अफसरों के लिए कर्मचारियों को वेतन देना बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है।
लखनऊ की सिटी बसों का बढ़ेगा किराया –
नगरीय परिवहन लखनऊ की सिटी बसों के किराये में एक रुपए सुरक्षा सेस (उपकर) लगाने की तैयारी में है, ताकि बस हादसे में यात्रियों को मौके पर आर्थिक राहत पहुंचाई जा सके। इसके लिए प्रस्ताव तैयार हो गया है। नगरीय परिवहन ने यात्री दुर्घटना क्षतिपूर्ति का प्रस्ताव तैयार किया है। आगामी तीन अगस्त को मंडलायुक्त की बोर्ड बैठक में इस पर फैसला लिया जाएगा। सिटी परिवहन रोडवेज की तर्ज पर अपने यात्रियों की सुरक्षा के खातिर किराए में अतिरिक्त टैक्स (सेस) लगाएगा।
इस संबंध में गत 28 मार्च को अपर मुख्य सचिव ने यात्री दुर्घटना क्षतिपूर्ति का प्रस्ताव बनाने का निर्देश दिया था। नए प्रस्ताव में यदि सिटी बस चालक की गलती मिली, तो 25 हजार वेतन से काटा जाएगा। सिटी बस के दुर्घटना के दौरान मृतक आश्रितों को पांच लाख रुपये, बारह साल तक के बच्चे को ढाई लाख रुपए और पांच साल के बच्चे को सवा लाख रुपए का मुआवजा मिलेगा। बस दुर्घटना में कोई घायल हो जाता है, तो 05 हजार रुपए, गंभीर रूप से घायलों को 20 हजार और मृतक आश्रितों को 50 हजार रुपए मिलेंगे। लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट के प्रबंध निदेशक पल्लव बोस का कहना है कि शासन के आदेश पर यात्री दुर्घटना क्षतिपूर्ति की गाइडलाइन को लेकर प्रस्ताव तैयार किया गया है। एक रुपए तक किराया बढ़ाए जाने की तैयारी है, ताकि हादसे में यात्रियों को आर्थिक मदद पहुंचाई जा सके।
- पंकज पांडेय की रिपोर्ट
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