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यदि आपके जीवन में भी हैं ऐसे मित्र तो हो जाएं सावधान वरना उठाना पड़ेगा नुकसान

नई दिल्लीः आचार्य चाणक्य की नीतियां जीवन दर्शन पर आधारित हैं। उनकी नीतियों का अनुपालन करने वाले मनुष्य के जीवन में कभी भी असफलता नहीं आती। तार्किक तथ्यों पर आधारित आचार्य चाणक्य की नीतियां मनुष्य को जीवन में आने वाली बड़ी से बड़ी कठिनाईयों से शीघ्र ही बाहर निकाल लाते हैं। ऐसे ही आचार्य चाणक्य ने मित्रता के बारे में भी बताया है और कहा कि यदि आपके जीवन में भी ऐसे मित्र हो तो उनका त्याग करना ही उचित है। वरना आपको दिक्कतों और अपमान का सामना करना पड़ सकता है।

परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्।
वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम् ॥
अर्थात् पीठ पीछे काम बिगाड़ने वाले और सामने प्रिय बोलने वाले मित्र विष भरे घड़े के ऊपर रखे दूध के समान होते हैं। व्यक्ति के जीवन में मित्र का महत्वपूर्ण स्थान होता है। सच्चे मित्र जीवन में औषधि की तरह होते हैं। जो मित्र पर आये संकट को क्षण भर में दूर कर देते हैं। व्यक्ति कई समस्याओं को अपने घर के सदस्यों से साझा नहीं कर पाता। यह बातें वह अपने मित्र के साथ साझा करता है और उसका मित्र उचित मार्गदर्शन भी करता है। इसके बावजूद कई दोस्त ऐसे भी होते हैं जो आपके मुंह पर तो परम मित्र होने का दावा करते हैं। लेकिन आपके पीठ पीछे आपका अहित करने से नहीं चूकते हैं। ऐसे मित्रों से हमेशा सावधान रहना चाहिए।

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जिस तरह से एक विष भरे हुए घड़े में आप चाहे जितना भी दूध मिला दे वह अमृत नहीं बन सकता और उसका सेवन करने वाले मनुष्य की मृत्यु भी निश्चित हो जाती है। इसी प्रकार यदि आपके जीवन में भी कपटी मित्र है तो आप चाहे जितना उससे प्रेम करे और उस अपना सगा माने वह समय पड़ने पर आप पर वार करने में देर नहीं करेगा। आचार्य चाणक्य बताते है कि अगर आपके जीवन में कोई ऐसा मित्र है जो बिना स्वार्थ के आपका हमेशा हित चाहता है तो ऐसा मित्र आपके लिए अनमोल खजाने की तरह है और यह आपका फर्ज है ऐसे मित्र को सहेज कर रखें। वर्तमान समय में तो सच्चा मित्र मिलना किसी खजाने से कम नहीं है।

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