नई दिल्लीः दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कॉलेज की एक प्राध्यापिका को एक अन्य शिक्षका द्वारा थप्पड़ मारने का विवाद सामने आया है। प्राध्यापिका डॉ. नीलम ने आरोप लगाया है कि उन्हें हिंदी विभागाध्यक्ष ने एक बैठक के दौरान थप्पड़ मारा है। डॉ. नीलम के मुताबिक उनपर जातिगत भावना से ग्रसित होकर यह हमला किया गया है। दलित आदिवासी शक्ति आधार मंच से जुड़े विभिन्न शिक्षकों ने इस मामले की निंदा की है। शिक्षकों का कहना है कि विश्वविद्यालय परिसर के किसी भी कॉलेज में इस प्रकार का हमला स्वीकार्य नहीं है। दलित आदिवासी शक्ति आधार मंच से जुड़े दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रोफेसर एवं अन्य शिक्षकों ने इस मामले की निंदा करते हुए व्यापक जांच की मांग की है।
वहीं एसएफआई का कहना है कि लक्ष्मीबाई कॉलेज में हिंदी विभाग की एक बैठक में दलित प्राध्यापिका डॉ. नीलम को थप्पड़ मारने वाली जातिगत भावना से ग्रसित हिंदी विभागाध्यक्ष का कृत्य शर्मनाक है। एसएफआई के संयोजक अखिल केएम के मुताबिक बिना पढ़े बैठक के मिनट्स पर हस्ताक्षर न करने पर विभागाध्यक्ष ने डॉ. नीलम को थप्पड़ जड़ दिया।
दलित आदिवासी शक्ति आधार मंच के मुताबिक शिक्षण संस्थानों में यह कोई पहली ऐसी घटना नहीं है बल्कि इससे पहले भी समाज के निचले तबके से आने वाले छात्र और शिक्षक इस प्रकार के जातिगत हमलों और जातिसूचक टिप्पणियों का सामना करते आये हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन की चुप्पी इस प्रकार के हमलों को और बढ़ावा देने का काम करती है।
हालांकि दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न शिक्षक संगठन फिलहाल इस मामले पर कुछ भी बोलने से पहले अधिक जानकारी जुटाने की बात कह रहे हैं। विभिन्न शिक्षक संगठनों का कहना है कि इस विषय पर प्रिंसिपल से मिलकर पूरे विषय की जानकारी ली जानी आवश्यक है। उसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जा सकती है। शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों की फिलहाल कॉलेज प्रिंसिपल से मुलाकात नहीं हो सकी है।
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वहीं एसएफआई का कहना है कि वह डीयू में हाशिए पर खड़े तमाम छात्र एवं शिक्षक समुदाय के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है। दलित आदिवासी शक्ति आधार मंच की मांग हैं कि लक्ष्मीबाई कॉलेज की आरोपी शिक्षका, पीड़ित प्राध्यापिका से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगे और साथ ही साथ दिल्ली विश्वविद्यालय मामले की जांच करें। कॉलेज प्रशासन से ये भी मांग की गई हैं कि आरोपी प्रोफेसर पर स़ख्त कार्यवाही की जाए।
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