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भारत का एक ऐसा गांव, जहां है अलग संविधान, यहां कुछ छूने पर लगता है जुर्माना

नई दिल्ली: भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। यहां के संविधान में देश के हर नागरिक को समान दर्जा दिया गया है और देश के हर कोने में एक ही कानून का पालन किया जाता है। लेकिन, अगर आपको हम ये बताएं कि हमारे देश का एक गांव ऐसा है, जहां भारतीय संविधान का पालन नहीं किया जाता, तो शायद आप विश्ववास न करें। लेकिन ये बिल्कुल सच है। हम बात कर रहे हैं मलाणा गांव (Malana village) की, जो हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित है। चारों ओर पर्वतों की चोटियों से घिरा ये गांव जितना खूबसूरत है, उतना रहस्यमयी भी है। देश व दुनिया में कई ऐसे गांव हैं, जो अपनी अलग संस्कृति व मान्यताओं के कारण चर्चा में रहते हैं, हिमाचल प्रदेश का मलाणा गांव भी इन्हीं में से एक है।

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अलग है इस गांव की बोली
मलाणा गांव (Malana village) के लोग कनाशी नाम की भाषा बोलते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि कनाशी भाषा दुनिया में कहीं और नहीं बोली जाती है। इस गांव के लोग इस भाषा को बेहद पवित्र मानते हैं और सिर्फ इसी भाषा का प्रयोग करते हैं।

बाहरी लोगों से रहते हैं दूर
मलाणा गांव (Malana village) के लोग बाहरी लोगों से दूर रहते हैं। लेकिन इस गांव की खासियत व खूबसूरती को देखने हर साल पर्यटक यहां आते हैं। इस गांव में पर्यटकों के रहने के लिए कोई व्यस्था नहीं है, जिस कारण उन्हें खुद ही टेंट लगाकर यहां रहना होता है। इसके अलावा यहां के बड़े-बुजुर्ग बाहरी लोगों से हाथ भी नहीं मिलाते हैं। अगर पर्यटक यहां के किसी दुकान से कोई सामान खरीदते हैं तो दुकानदार उसे सामान हाथ में न देकर रख देते हैं और पैसे भी हाथ में न लेकर रख देने को कहते हैं।

मंदिर छूने पर लगेगा जुर्माना

जी हां, मलाणा गांव (Malana village) में अगर पर्यटकों ने गलती से भी मंदिर को छू लिया तो उन्हें इसका भारी जुर्माना चुकाना पड़ेगा। दरअसल, यहां के लोग जमदग्नि ऋषि यानी जमलू देवता भगवान (श्री विष्णु जी के छठवें अवतार भगवान परशुराम के पिता) हैं। गांव के लोग अपने देवस्थल की पवित्रता बनाए रखने के लिए बाहरी लोगों के प्रवेश व छूने पर रोक लगा रखी है। यह मंदिर गांव में प्रवेश करते ही दिख जाता है।

देश का सबसे पुराना लोकतंत्र
हिमाचल का मलाणा गांव (Malana village) देश का सबसे प्राचीन गांव है। इतना ही नहीं, यहां का लोकतंत्र भी सबसे प्राचीन है। कहा जाता है कि यहां सबसे पहले जमलू ऋषि रहते थे और उन्हीं ने इस गांव के नियम व कानून बनाए थे, जिसे आज भी यहां के लोग मानते हैं। गांव के लोग अपने आराध्य देव के बनाए कानून का ही पालन करते हैं और न्याय व्यवस्था भी अपना ही मानते हैं। यहां ग्राम परिषद द्वारा नियमों का संचालन किया जाता है। ग्राम परिषद में 11 सदस्य होते हैं, जो जमलू ऋषि के बताए नियमों के द्वारा ही गांव की व्यवस्था संभालते हैं।

ऐसे पहुंचे मलाणा गांव
अगर आप इस खूबसूरत व प्राचीन गांव में जाना चाहते हैं तो कुल्लू से मणिकर्ण तक आप बस या निजी वाहन से पहुंच सकते हैं। मणिकर्ण से आपको पैदल ही इस गांव तक पहुंचना होगा।

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