Gyanvapi Survey- वाराणसीः उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में शुक्रवार को ASI की टीम भी सर्वे के लिए पहुंची है। सर्वे में ASI अलग-अलग मशीनों का भी इस्तेमाल कर रही है। इमारतों की नींव से लेकर इतिहास का पता लगाने के लिए उन हिस्सों की 3डी मैपिंग भी की जा रही है।
सर्वे में शामिल सदस्यों की संख्या और बढ़ी
अधिकारियों के मुताबिक, ज्ञानवापी सर्वे में ASI टीम के साथ कानपुर के विशेषज्ञ भी शामिल हुए हैं। ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) समेत आधुनिक जांच मशीनों के साथ पहुंची टीम दीवारों के पीछे और जमीन के नीचे जांच करेगी। उनके आने से सर्वे में शामिल सदस्यों की संख्या भी बढ़ गयी है। पहले जहां 42 सदस्य सर्वे कर रहे थे, वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 52 हो गई है।
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सर्वेक्षण के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने गुरुवार को ज्ञानवापी परिसर में विभिन्न स्थानों की फोटो और वीडियोग्राफी की। इसके साथ ही अत्याधुनिक मशीनों की मदद से परिसर के विभिन्न हिस्सों में माप भी की गई। सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक करीब सात घंटे के सर्वे में एएसआइ की टीम ने वैज्ञानिक विधि से जांच जारी रखी। ज्ञानवापी के आसपास स्थित मकान की छत पर सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया था, ताकि कहीं से भी अनाधिकृत रूप से कोई फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी न की जा सके।
रिपोर्टिंग पर लगी रोक
उधर जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने गुरुवार को ज्ञानवापी (Gyanvapi Survey) मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले में चल रहे एएसआई सर्वे की किसी भी तरह की रिपोर्टिंग पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर में चल रहे सर्वेक्षण कार्य की प्रकृति संवेदनशील है। एएसआई या वादी और प्रतिवादियों के अधिवक्ताओं को सर्वेक्षण के बारे में टिप्पणी करने या सूचित करने का कोई अधिकार नहीं है।
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