नई दिल्लीः आषाढ़ का पावन महीना शुरू हो चुका है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से गुप्त नवरात्रि आरंभ होती है। इस बार यह 11 जुलाई से शुरू होकर 18 जुलाई तक चलेंगे। गुप्त नवरात्रि तंत्र-मंत्र पूजा के लिए विशेष मानी जाती है। इसे तांत्रिक क्रियाकर्म करने वाले साधक गुप्त रूप से करते हैं इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। बता दें कि एक साल में कुल चार नवरात्रि होते हैं। जिसमें से चैत्र नवरात्रि, आषाढ़ नवरात्रि, अश्विन नवरात्रि व माघ नवरात्रि होते हैं। इनमें दो चैत्र और अश्विन माह के नवरात्रि गृहस्थ वर्ग के लिए होते हैं जबकि आषाढ़ और माघ माह के नवरात्रि गुप्त होते हैं। चारों नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। तांत्रिक जगत में गुप्त नवरात्रि का अधिक महत्व होता है क्योंकि, देवताओं के शयनकाल के समय आसुरी शक्तियों की साधना करने वालों को अपनी मंजिल तक पहुंचना आसान रहता है। सामान्य जन इसमें मंत्र जाप और पूजा पाठ करके अपनी शक्तियों को बढ़ाकर इन चार दुखों के देवताओं के प्रकोप से बचे रहते हैं। गुप्त नवरात्रि के मध्य माँ आदि शक्ति का महामंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ का प्रतिदिन जप करने से समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है।
10 देवियों की होती है पूजा
नवरात्रि में जहां नौ देवियों का विशेष पूजन किया जाता है, वहीं गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्या की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में पूजी जाने वाली 10 महाविद्याओं में मां काली, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी हैं। इस नवरात्रि में तंत्र और मंत्र दोनों के माध्यम से भगवती की पूजा की जाती है।
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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त
आषाढ़ घट स्थापना शुभ मुहूर्त- 11 जुलाई 2021 की सुबह 05.31 से 07.47 तक
घट स्थापना अभिजित मुहूर्त- सुबह 11.59 से दोपहर 12.54
प्रतिपदा तिथि आरंभ- 10 जुलाई 2021 को सुबह 06.46 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्ति- 11 जुलाई 2021 को सुबह 07.47 बजे तक