Friday, November 22, 2024
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Homeदेशपूर्वी लद्दाख में गोगरा पोस्ट के आसपास नहीं बदली जमीनी हकीकत

पूर्वी लद्दाख में गोगरा पोस्ट के आसपास नहीं बदली जमीनी हकीकत

नई दिल्लीः भारत से 12वें दौर की सैन्य वार्ता में बनी सहमति के आधार पर पूर्वी लद्दाख के गोगरा पोस्ट के पेट्रोलिंग प्वाइंट 17ए से विस्थापन प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी आसपास के क्षेत्र में सैनिकों की तैनाती में कोई बदलाव नहीं आया है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की ओर से किये गए बुनियादी ढांचों का स्थायी निर्माण भारतीय सेना के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। इसलिए भारतीय सेना एलएसी पर हाई अलर्ट रहकर अपनी तैयारियों को लगातार मजबूत बना रही है। हाल ही में भारतीय सेना की टैंक रेजिमेंट ने पूर्वी लद्दाख के एक स्थान पर टैंक युद्धाभ्यास भी किया है।

भारत-चीन के बीच 31 जुलाई को हुई सैन्य वार्ता के 12वें दौर में हुए समझौते के मुताबिक 6 अगस्त को साझा बयान में कहा गया था कि गोगरा पोस्ट में लगभग 500 मीटर की दूरी पर आमने-सामने तैनात दोनों देशों के सैनिक अपने-अपने स्थायी ठिकानों पर वापस चले गए हैं। एलएसी के दोनों ओर कोई गश्ती क्षेत्र नहीं है। बनाए गए सभी अस्थायी ढांचे को नष्ट कर दिया गया है, जिन्हें दोनों सेनाओं की ओर से सत्यापित किया गया है। यह विस्थापन प्रक्रिया उसी तरह हुई है, जैसे इसी साल फरवरी में पैन्गोंग झील क्षेत्र में अपनाई गई थी। इन सबके बावजूद एक सैन्य सूत्र ने कहा कि दोनों पक्षों ने आमने-सामने तैनात सैनिकों को तो वापस भेज दिया है, लेकिन आसपास के इलाकों में सैनिकों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है।

सूत्र ने कहा कि सबसे बड़ी चिंता बुनियादी ढांचे, आवास और सुरक्षा के निर्माण की है। चीन के सैनिक पश्चिमी राजमार्ग पर उपकरणों के साथ तैनात हैं। उनके सैनिक डेप्सांग से 150 किलोमीटर, चुशुल से 100 किलोमीटर और डेमचोक से 60 किलोमीटर की दूरी पर हैं। भारत ने कहा है कि पूरी तरह से विस्थापन के बाद ही डी-एस्केलेशन शुरू होगा। इसे सुलझाने के लिए बड़े-बड़े विचार-विमर्श हुए हैं। इस बार लद्दाख में एलएसी पर विवादित जगहों की संख्या बढ़ गई है। चीनी चाहते हैं कि भारतीय सेना 5 मई, 2020 के बाद तैनात सैनिकों को हटा दे, क्योंकि मौजूदा गतिरोध पैन्गोंग झील के उत्तरी तट पर फिंगर 4 पर संघर्ष के साथ शुरू हुआ था। बाद में यह गतिरोध हॉट स्प्रिंग, गोगरा, गलवान और डेप्सांग सहित कई बिंदुओं तक फैल गया।

वैसे तो दोनों देशों के बीच समझौतों के आधार पर अब तक पैन्गोंग झील के दोनों किनारों और गोगरा पोस्ट के पेट्रोलिंग प्वाइंट 17ए में विस्थापन प्रक्रिया हो चुकी है। इसी तरह पिछले साल 15/16 जून को गलवान घाटी की हिंसक झड़प के बाद गलवान के पेट्रोलिंग पॉइंट-14 से चीनी सैनिक उसी समय हट गए थे। इसके बावजूद अभी भी डेप्सांग बुलगे (पीपी-10, 11, 11ए, 12 और 13) पर दोनों तरफ लगभग 972 वर्ग किलोमीटर में गतिरोध जारी है। एलएसी पर अब भी हॉट स्प्रिंग्स के पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 पर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हैं। 12वें दौर की वार्ता में भारत ने पूर्वी लद्दाख के डेप्सांग मैदानी इलाकों, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्रों से सेनाओं के विस्थापन करने पर जोर दिया था लेकिन चीन ने सिर्फ गोगरा पोस्ट पर सहमति जताई।

इधर, भारतीय सेना एलएसी पर हाई अलर्ट रहकर अपनी तैयारियों को लगातार मजबूत बना रही है। हाल ही में भारतीय सेना की टैंक रेजिमेंट ने पूर्वी लद्दाख के एक स्थान पर हमले के संचालन का अभ्यास करते हुए टैंक युद्धाभ्यास भी किया है। इस अभ्यास में भारत के अग्रिम पंक्ति के टैंकों से मारक क्षमता का प्रदर्शन किया गया। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के फॉरवर्ड बेस पर नेगेव लाइट मशीन गन, टेवर-21 और एके-47 असॉल्ट राइफलों से लैस गरुड़ स्पेशल फोर्स के जवानों को तैनात किया गया है। इसके अलावा में न्योमा फॉरवर्ड बेस पर दुश्मन के विमानों और हेलीकॉप्टर को तबाह करने के लिए रूसी मूल के मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम को तैनात किया गया है। इस एयर डिफेंस सिस्टम से लैस भारतीय वायु सेना दुश्मन के तेज गति से चलने वाले विमानों और हेलीकॉप्टरों को तबाह कर सकती है।

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लेह से 200 किलोमीटर दूर पूर्वी लद्दाख की सरहद पर भारतीय सेना के सैनिक और टैंक चीन के छक्के छुड़ाने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा 16 हजार से लेकर 18 हजार फीट की ऊंचाई पर शून्य डिग्री से नीचे के तापमान में भारतीय सेना के जवान तैनात हैं। भारतीय वायु सेना ने फिक्स्ड-विंग एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर संचालन को नियंत्रित करने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड में दुनिया के सबसे ऊंचे मोबाइल एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) टावरों में से एक को तैनात किया है। अगले कुछ दौर की बातचीत में हॉट स्प्रिंग्स से विस्थापन होने की संभावना है। इसके बावजूद डेप्सांग का मुद्दा फिलहाल जल्द सुलझने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि यह विवाद मौजूदा गतिरोध से पहले का है। डेप्सांग इलाके में दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे की एलएसी लाइनों को अवरुद्ध करते हुए तैनात हैं।

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